शिक्षकों और संसाधनों की भारी कमी, कैसे पूरा होगा जड़ों को सींचने का ख्वाब

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RGA न्यूज़

प्राथमिक शिक्षा की सूरत और भविष्य दोनों बदलने का सरकार कर रही प्रयास।

प्राथमिक शिक्षा का शैक्षिक स्तर उठाने को करने होंगे ठोस प्रयास। नगर क्षेत्र में शिक्षकों की तैनाती विद्यालयों में ढांचागत सुविधाएं बढ़ाने की मांग। शासन की योजना है कि जल्द ही परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों को पहली कक्षा से संस्कृत पढ़ाई जाएगी।

आगरा, बेसिक शिक्षा परिषद के परिषदीय विद्यालयों में होने वाली पढ़ाई को भारतीयता की जड़ों से जोडऩे की तैयारी है। इसके लिए संस्कृत और वैदिक गणित को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। लेकिन संसाधनों व शिक्षकों की कमी से बदहाल व्यवस्था में यह सपना साकार करना फिलहाल मील का पत्थर नजर आता है।

शासन की योजना है कि जल्द ही परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों को पहली कक्षा से संस्कृत पढ़ाई जाएगी। वहीं चौथी और पांचवीं कक्षा में उन्हें वैदिक गणित से रूबरू कराया डाएगा। देश के राजनीतिक मानचित्र में हुए बदलाव और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35ए हटने के बाद की स्थिति में आए बदलावों से भी विद्यार्थियों को अवगत कराया जाएगा। इसके साथ भी विभाग के पास ऐसे कई योजनाएं हैं, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों में भारतीय शिक्षा पद्धति और संस्कृति की नींव डालकर उनमें देश से अपनत्व भी भावना उत्पन्न करना है। उम्मीद जताई जा रही है कि इससे प्राथमिक शिक्षा की सूरत और भविष्य दोनों बदल जाएंगे। लेकिन यह काम इतना भी आसान नहीं, जितना नजर आ रहा है क्योंकि प्राथमिक शिक्षा की बदहाली और विफलता की जड़, शिक्षकों और संसाधनों की भारी कमी है, जो आवश्यकतानुरुप उपलब्ध नहीं हो पा रही।

यह है स्थिति

प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री बृजेश दीक्षित ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति फिर भी बेहतर है, कायाकल्प योजना से विद्यालयों की सूरत बदली है, विभिन्न शिक्षक भर्ती से शिक्षकों की कमी भी दूर हुई है। लेकिन नगर क्षेत्र में शिक्षकों की भारी कमी है। अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि नगर क्षेत्र के 166 विद्यालयों में करीब 60 एकल विद्यालय हैं और सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे हैं। कई शिक्षक हिंदी विषय के शिक्षक हैं, ऐसे में विद्यार्थियों को अंग्रेजी, गणित और विज्ञान का पर्याप्त ज्ञान नहीं मिल पाता। ज्यादातर विद्यालय शिक्षा मित्रों के हवाले हैं। इतना भी होगा तो गनीमत थी। करीब 30 विद्यालयों के पास खुद की बिल्डिंग नहीं, वह किराए के स्थानों पर संचालित हैं, करीब 10 ऐसे हैं जिनकी बिल्डिंग पूरी तरह जर्जर है या वह बिल्डिंग विहीन विद्यालय हैं।

सालों से नहीं हुई भर्ती

यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन के जिलामंत्री राजीव वर्मा का कहना है कि नगर क्षेत्र में सालों से यही हाल है। सबसे प्रमुख कारण नगर क्षेत्र में शिक्षकों की भर्ती न होना है। नई भर्ती से जितने शिक्षक आए, शासन ने उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में भेज दिया। ऐसे में नगर क्षेत्र की हालात बद-से-बदतर होती गई। हालांकि योगी सरकार ने नगर क्षेत्र में शिक्षकों के समायोजन के संकेत दिए जरूर, लेकिन अब तक ठोक शुरुआत नहीं हो पाई। वहीं विभाग में 128 अंग्रेजी माध्यम विद्यालय भी शुरू किए जाने थे, दो साल बाद उनकी प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई। 

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