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जीनोम सिक्वेंसिंग से पता लगेगा कि कोरोना संक्रमितों में वैरिएंट डेल्टा प्लस है या नहीं।
माइक्रो बायोलाजी लैब की प्रभारी डा. मोनिका सिंह ने बताया कि नमूनों को वहां अनुमोदन नहीं मिला था। नमूनों की सिटी वैल्यू और कुछ आवश्यक कालम की पूर्ति में कहीं कमी से ऐसा हुआ। बताया कि इधर बीच संक्रमण के केस कम हो रहे हैं।
प्रयागराज, कोरोना वायरस संक्रमितों में डेल्टा प्लस वैरिएंट का पता लगाने के लिए नमूने जल्द ही मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज की माइक्रो बायोलाजिकल लैब से बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) की लैब भेजे जाएंगे। क्योंकि जिन 15 नमूनों को मई में जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए इंस्टीट्यूट आफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटेड बायोलाजी नई दिल्ली भेजा गया था, अनुमोदन न मिलने के चलते उनकी जांच ही नहीं हो सकी। वह नमूने खराब हो चुके हैं। नमूने अब नए सिरे से बीएचयू भेजे जाने हैं। हालांकि रिपोर्ट निगेटिव आने के आसार अधिक हैं।
एमएलएन मेडिकल कालेज से भेजे गए थे नमूने
यह राहत की बात है कि उत्तर प्रदेश में डेल्टा प्लस वैरिएंट का असर अभी कम है। इंस्टीट्यूट आफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटेड बायोलाजी नई दिल्ली में हुई जांच में दो ही जिलों गोरखपुर व देवरिया में एक-एक संक्रमित में डेल्टा प्लस की पुष्टि हुई है। जबकि वैरिएंट का पता लगाने के लिए मई में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज की माइक्रो बायोलाजी लैब से भी 15 नमूने भेजे गए थे। इनकी जांच रिपोर्ट न आना किसी की समझ से परे रहा। हालांकि नई दिल्ली से रिपोर्ट उजागर होने के बाद यह तथ्य आया है कि प्रयागराज से भेजे गए नमूनों को जांच में शामिल ही नहीं किया गया था।
माइक्रो बायोलाजी लैब प्रभारी ने यह कहा
माइक्रो बायोलाजी लैब की प्रभारी डा. मोनिका सिंह ने बताया कि नमूनों को वहां अनुमोदन नहीं मिला था। नमूनों की सिटी वैल्यू और कुछ आवश्यक कालम की पूर्ति में कहीं कमी रह जाने से ऐसा हुआ। बताया कि इधर बीच संक्रमण के केस कम हो रहे हैं। आरटीपीसीआर जांच में मामले ज्यादा गंभीर भी नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि कम से कम 10 नमूने एकत्र कर अब जांच के लिए बीएचयू की लैब में भेजे जाएंगे। यह नमूने मई और जून माह के अंतिम दिनों में मिले संक्रमित लोगों के रहेंगे।