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RGA न्यूज़
परमबीर सिंह को बयान दर्ज कराने के लिए ईडी भेजेगी समन।
ईडी मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बयान दर्ज कराने के लिए समन जारी करेगी। गौरतलब है कि ईडी इस मामले में अब तक कई लोगों को नोटिस जारी कर पूछताछ कर चुकी है।
मुंबई, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बयान दर्ज कराने के लिए समन जारी करेगी। गौरतलब है कि इससे पहले ईडी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और अन्य के खिलाफ चल रहे मनी लांड्रिंग मामले की जांच के तहत ताजा समन जारी किया था। जांच एजेंसी ने देशमुख को पांच जुलाई को अपने समक्ष पेश होने को कहा है। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि राकांपा नेता को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने के लिए तीसरा नोटिस जारी किया गया है। देशमुख से दक्षिण मुंबई में केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में अपना बयान दर्ज कराने को कहा गया है। देशमुख को इससे पहले भी दो समन जारी किए जा चुके हैं, लेकिन वह कोरोना वारयस संक्रमण के खतरे का हवाला देकर पेश नहीं हुए। उन्होंने ईडी के समक्ष वीडियो कांफ्रेंस के जरिये अपना बयान दर्ज कराने का आग्रह किया।
देशमुख को कथित तौर पर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने एवं जबरन वसूली करने वाले रैकेट से जुड़े मनी लांड्रिंग के एक मामले में ईडी ने समन जारी किया है। देशमुख ने इन आरोपों के कारण महाराष्ट्र के गृह मंत्री के पद से इस साल अप्रैल में इस्तीफा दे दिया था। ईडी ने पिछले महीने मुंबई और नागपुर में देशमुख, उनके सहयोगियों और अन्य लोगों के परिसरों पर छापे मारे थे। इसके बाद निदेशालय ने पहला समन जारी किया था। बाद में एजेंसी ने उनके दो सहयोगियों-निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को गिरफ्तार कर लिया था। वे छह जुलाई तक ईडी की हिरासत में हैं।धर, महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अपने खिलाफ चल रही सीबीआइ जांच को अवैध बताया है। सीबीआइ उनके विरुद्ध पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप की जांच कर रही है। अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज सीबीआइ की एफआइआर रद करने की मांग करते हुए उनके वकील अमित देसाई ने उच्च न्यायालय में कहा कि हालांकि देशमुख के खिलाफ सीबीआइ जांच उच्च न्यायालय के ही आदेश पर शुरू हुई थी, लेकिन यह जांच शुरू करने से पहले कानून का पालन नहीं किया गया। उस समय देशमुख सार्वजनिक सेवा में थे। उनके खिलाफ जांच शुरू करने से पहले राज्य सरकार से अनुमति ली जानी चाहिए थी। यह अनुमति नहीं ली गई। इसलिए यह जांच ही गैरकानूनी है।