आबादी में अप्रत्याशित वृद्धि...जीवन में कैसे आए समृद्धि

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RGA न्यूज़

जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 36 लाख से अधिक है।

अलीगढ़ की ही बात करें करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 36 लाख से अधिक है। विगत 10 वर्षों में आबादी में और इजाफा हो गया है मगर जिस तेजी से आबादी बढ़ रही हो उस हिसाब से संसाधन नहीं बढ़ पाए हैं।

अलीगढ़, देश में ‘हम दो-हमारे दो’ का नारा फिर बुलंद हो रहा है। दो बच्चों का कानून लाने की तैयारी के बीच बहस छिड़ी हुई है, लेकिन आबादी को लेकर सरकार व बुद्धिजीवियों की चिंता बेवजह नहीं है। अलीगढ़ की हीबात करें करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 36 लाख से अधिक है। विगत 10 वर्षों में आबादी में और इजाफा हो गया है, मगर जिस तेजी से आबादी बढ़ रही हो, उस हिसाब से संसाधन नहीं बढ़ पाए हैं। तमाम लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी, सड़क और अन्य मूलभूत सुविधाअों के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। ऐसे हालात में जनता की आकाक्षाएं पूरी करनी संभव नहीं है। क्या हैं जरूरतें?और क्या है समाधान? आइए, विश्व जनसंख्या दिवस पर सरकार के प्रयासों और उनके नतीजों पर नजर डालें...

लक्ष्य से दूर परिवार नियोजन कार्यक्रम

जनसंख्या पर अंकुश लगाने के लिए अभी तक सरकार का परिवार नियोजन कार्यक्रम पर ही जोर रहा है। महिलाओं ने पहल करते हुए परिवार नियोजन के साधनों जैसे ओरल पिल्स, छाया पिल्स, अंतरा इंजेक्शन, आइयूसीडी, पीपीआइयूसीडी व एनसवी (नसबंदी) को अपनाया है। शहर के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. विकास मेहरोत्रा कहते हैं कि जनसंख्या वृद्धि एक सामाजिक समस्या है, जिसे धार्मिक व सांप्रदायिक रूप दे दिया गया है। पुरुष प्रधान सोच ने परिवार नियोजन की जिम्मेदारी महिलाअों पर डाल दी है, जो अशिक्षित हैं और गरीब हैं। वे संकोच व अज्ञानता की वजह से डाक्टर के पास तक नहीं पहुंच पातीं। सरकार की अोर से प्रयास तो खूब हो रहे हैं, मगर संसाधनों का अभाव साफ दिखता है। स्वास्थ्य केंद्रों पर पति-पत्नी और काउंसलर के बीच परिवार नियोजन पर चर्चा होनी चाहिए। जब तक लोग शिक्षित नहीं होंगे, तब तक परिवार नियोजन कार्यक्रम सफल नहीं हो सकता। यदि हम शिक्षा की बात करेंगे तो वहां पुनः संसाधनों की अनुपलब्धता रोड़ा बन जाएगी।

स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव

जिले में मेडिकल कालेज, तीन जिला स्तरीय अस्पताल, 16 सीएचसी, 34 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 18 शहरी स्वास्थ्य केंद्र, एक ट्रामा सेंटर संचालित है, लेकिन कहीं भी ऐसा नहीं कि आप आराम से ओपीडी का पर्चा भी बना सके। डाक्टर के कक्ष से लेकर एक्सर-रे, अल्ट्रासाउंड, खून की जांच व दवा काउंटर तक लंबी कतारें लगी हुई हैं। पूर्व जेडी हेल्थ डा. राजेंद्र वार्ष्णेय का कहना है कि संसाधन बढ़ाए जाते हैं, लेकिन उससे कहीं तेजी से जनसंख्या बढ़ जाती है। ऐसा चिकित्सा ही नहीं, हर क्षेत्र में दिख रहा है। इतनी बड़ी आबादी के लिए संसाधन जुटाना किसी भी सरकार के लिए असंभव है। यही वजह है कि सरकार दो बच्चों की नीति को लेकर 

मुफ्त राशन, मकान भी बांटें, फिर भी कमी

जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ रही है, उस अनुपात में लोगों को रोटी, कपड़ा और मकान के लिए जिद्दोजहद करनी पड़ ही है। बेरोजगारी की वजह से व्याप्त गरीबी के चलते सरकार को आज भी राशन की दुकानों पर मुफ्त में खाद्यान्न बांटना पड़ रहा है। गरीबों के लिए घर बनाने पड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना की बात करें तो जनपद में 15 हजार से अधिक आवास गरीबों को दिए गए, मगर उससे ज्यादा गरीब फिर बढ़ गए। सरकार चाहकर भी 2022 तक सबको आवास नहीं दे सकती। जब तक आबादी कम नहीं होगी, संसाधनों की पूर्ति नहीं हो सकती।

 

आज से विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. बीपी सिंह कल्याणी ने बताया कि 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाएगा । पहले दंपत्ति संपर्क पखवाड़ा मनाया जाएगा । विश्व जनसंख्या दिवस दो पखवाड़ों में आयोजित किए जाएंगे । पहला पखवाड़ा जो 27 जून से शुरू होकर 10 जुलाई तक चलाया गया, वहीं दूसरा पकवाड़ा 11 जुलाई से 31 जुलाई तक चलाया जाएगा । आशा कर्मियों ने ड्यूलिस्ट तैयार कर ली है। पखवाड़ा के दौरान जिले, ब्लाक और गांव में मोबाईल पब्लिसिटी वैन से परिवार नियोजन का संदेश जोर-शोर से प्रचारित और प्रसारित किया जाएगा। पात्र लाभार्थी को दो माह के लिए गर्भनिरोधक गोली और कंडोम वितरित किया जाएगा। अंतरा और आयूसीडी को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। हर इच्छुक लाभार्थी के लिए पुरुष या महिला नसबंदी की पूर्व पंजीकरण की भी सुविधा होगी।

शैक्षिक पिछड़ापन

डा. चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि अधिक जनसंख्या शैक्षिक पिछड़ेपन का एक महत्वपूर्ण कारक है। आय के साधन सीमित होने के कारण अभिभावक सभी बच्चों की शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाते। स्कूल, कालेजों में ड्राप आउट का कारण भी आर्थिक समस्या व बच्चों की ज्यादा संख्या ही है। अभिभावक काम चलाऊ शिक्षा दिलवा कर बच्चों को अकुशल रोजगार में धकेल देते हैं, और बच्चों का बचपन भी समाप्त हो जाता है। यह समय व्यवसायिक शिक्षा का भी है, जो काफी महंगी है। मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए भी सभी बच्चों को समान शिक्षा दिलाना संभव नहीं।

नई जनसंख्या नीति को सम्पूर्ण भारत में लागू कर देना चाहिए। योगी सरकार ने काफी अच्छा निर्णय समस्त जनमानस के हित में लिया है। यह नीति बहुत पहले ही आजानी चाहिए थी किंतु अब यह नीति आई है उम्मीद है इससे कार्य सभी गरीबों को योजनाओं का सही से लाभ मिलेगा।

- विशाल देशभक्त

योगी सरकार द्वारा लागू की जा रही जनसंख्या नीति के सरकार साधुवाद की पात्र है । वर्तमान परिस्तिथि में जनसंख्या नियंत्रण देश के विकास के लिए बेहद जरूरी है इसीलिए कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून पूरे देश मे लागू होना चाहिए ।

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