![Raj Bahadur's picture Raj Bahadur's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-13-1546707786.jpg?itok=_bTDIAhC)
RGANEWS
गुजरात में 25 अगस्त से आमरण उपवास पर अड़े पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को झटका देते हुए अहमदाबाद पुलिस आयुक्त ने शहर में दो माह के लिए धारा 144 का आदेश जारी कर दिया है। अब शहर में कहीं पर भी चार से अधिक लोग एकत्र नहीं हो सकेंगे। इस बीच, हार्दिक पटेल ने ट्वीट कर गुजरात सरकार पर निशाना साधा है।
किसानों की कर्ज माफी व पाटीदार आरक्षण की मांग को लेकर हार्दिक ने 25 अगस्त से आमरण उपवास की घोषणा की थी, अहमदाबाद में मंजूरी नहीं मिलने तथा गांधीनगर में उपवास की इजाजत मिलने की खत्म होती संभावना के बीच हार्दिक ने कहा था कि वह अपने एसजी हाइवे स्थित आवास पर ही उपवास शुरू कर देंगे। लेकिन पुलिस आयुक्त एके सिंह ने 60 दिन के लिए धारा 144 की घोषण कर हार्दिक के उपवास कार्यक्रम की संभावनाओं को खत्म कर दिया है। चूंकि हार्दिक अब अपने घर पर भी चार से अधिक लोगों को एकत्र नहीं कर सकेंगे।
पुलिस ने टोल नाकों पर वाहनों की निगरानी व जांच करने के साथ होटल, गेस्ट हाउस व रेस्टोरेंट पर निगरानी बढ़ाने के साथ सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं।
इस बीच, हार्दिक पटेल ने ट्वीट किया है कि उपवास आंदोलन को रोकने के लिए अहमदाबाद में धारा 144 लागू की है। बड़ा ताज्जुब होता है कि संवैधानिक तरीके से किसी को भी आंदोलन करने का अधिकार है, फिर भी गुजरात की भाजपा सरकार उपवास आंदोलन करने से भी आंदोलनकारियों को रोक रही है। पुलिस ने पंडाल लगाने वालों को कहां कि तीन घंटे में सब हटा लें।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के आदेश पर हमारे आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी चल रही हैं। लगातार आंदोलनकारियों को जान से मार देने की धमकी भाजपा के नेता दे रहे हैं।18 या 20 साल के युवाओं को पिछले 24 घंटे से जेल में रखा हैं। उपवास आंदोलन को रोकने के लिए भाजपा अंग्रेज बन गई हैं।
एक अन्य ट्वीट में हार्दिक ने लिखा है कि भाजपा की गुंडागर्दी और तानाशाही के खिलाफ एक भी ईमानदार अफसर कुछ नहीं बोल रहा, मीडिया भी हकीकत नहीं दिखा रहा, सामाजिक आंदोलन चलाने वाले भी मानो गुम हो गए, सब लोग डर के मारे चुप हो गए हैं। लेकिन मेरी लड़ाई आलीशान घर में रहने वालों के लिए नहीं है गरीब, किसान और मजदूर के लिए हैं।