![Praveen Upadhayay's picture Praveen Upadhayay's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-4-1546617863.jpg?itok=SmNXTJXo)
![](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/news/12_07_2021-07_10_2019-tiger-rajasthan_19648017_21824120.jpg)
RGAन्यूज़
आठ घंटे पेड़ पर बैठकर देखा दोस्तों की मौत का लाइव
Pilibhit Tiger Attack News पीलीभीत में हमला कर दो युवकों को मौत के घाट उतारने वाले बाघ से छिपकर आठ घंटे तक जिस प
बरेली,पीलीभीत में हमला कर दो युवकों को मौत के घाट उतारने वाले बाघ से छिपकर आठ घंटे तक जिस पेड़ पर युवक बैठा था वहां चहलकदमी करते रहे। साढ़े तीन बजे जंगल के अंदर गए। मौत का खेल देखकर युवक की सुबह तक पेड़ पर बैठे रहने से हालत बिगड़ गई। मृतक युवकों के स्वजन के चीत्कार से वहां हर आंख नम हो गई।
विकास ने बताया कि जब वह जंगल में पहुंचे तो दो बाघ सड़क किनारे घात लगाए बैठे थे।बाइक सोनू चला रहा था।बीच में कंधईलाल और सबसे पीछे वह बैठा था।सिर में हेल्मेट लगा था।तभी एक बाघ बाइक के पीछे से आया और उसने हमला कर दिया।बाइक अनियंत्रित होकर सड़क किनारे गिर गई।विकास ने बताया कि एक बाघ ने सबसे पहले सोनू पर हमला किया जिस पर वह सड़क पर जान बचाने के लिए भागा।बाघ ने वहीं हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया।एक बाघ कंधई की तरफ दौड़ा।
जान बचाने के लिए कंधई पेड़ पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था।करीब छह फिट ऊंचाई तक चढ़़ गया था। बाघ ने जमीन से पेड़ पर छलांग लगाकर कंधई को खींच लिया और उसे भी मौत के घाट उतार दिया। विकास ने बताया कि दूसरे बाघ ने उस पर हमला करने का प्रयास किया।बाघ जब उसकी तरफ बढ़ा तो उसने पेड़ की आड़ ले ली। इस पर बाघ हमला नहीं कर सका। बिना देर किए वह पेड़ की ऊंचाई पर चढ़ गया
बाघ कंधई के शव को जंगल के अंदर खींचते हुए ले गए।सोनू का शव जिस पेड़ पर वह चढ़ा था उसके नीचे पड़ा रहा।जंगल के अंदर कंधई का शव ले जाने के कुछ देर बाद दोनों बाघ पेड़ के नीचे आ गए। विकास ने बताया कि आठ घंटे तक दोनों बाघ वहीं चहलकदमी करते रहे।तड़के साढ़े तीन बजे बाघ जंगल के अंदर गए।आठ घंटे तक मौत के बेहद करीब होने से वह पूरी रात सहमा बैठा रहा। पेड़ से उतरने के बाद वह बेहोश हो गया।स्वजन उसे घर लेकर पहुंचे। वहां इलाज करने पर होश में आ सका। घटना के बारे में बताते हुए उसकी रूह कांप जाती है। विकास अभी भी बदहवास है।