दिखावे के संगम में भाजपा की अलग-अलग धाराएं, प्रयागराज मंडल में धड़ों में बंटी रही पार्टी

harshita's picture

RGA न्यूज़

प्रयागराज में सपा से आगे नहीं जा सकी भाजपा, प्रतापगढ़ में तो दयनीय रही हालत

प्रतापगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए तो भाजपा ने जैसे वाक ओवर ही दे दिया था। तीन जुलाई को जिला पंचायत के चुनाव में प्रशासन पर आरोप लगा भाजपा प्रत्याशी क्षमा सिंह के पति पप्पन सिंह ने हंगामा शुरू किया तो मंत्री ने समझाया और फटकारा।

प्रयागराज, संगम तीरे गौर से देखें तो गंगा और यमुना की अलग-अलग धाराएं दिख जाएंगी। वैसे ही यहां उठ रही वर्चस्व की लहरों में भाजपा की अलग-अलग धाराएं दिख रही हैं। पार्टी में दिखावे का संगम है लेकिन एक दूसरे की लहर काट और नैया डुबोने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही। मंडल के तीन जिलों में पार्टी दो धड़ों में बंटी नजर आई। इसका असर चुनाव नतीजों पर भी पड़ा। जिला पंचायत के चुनाव में प्रतापगढ़ में भाजपा अपने प्रत्याशी का भी वोट नहीं डलवा पाई। तो ब्लॉक प्रमुख चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने अपने-अपने क्षेत्र की प्रमुखी पर जैसे समझौता कर लिया हो। वहीं, केशव के घर यानी कौशांबी में सपा और भाजपा बराबरी पर रहे। दोनों को दो-दो सीटें मिलीं। मंत्रियों के शहर प्रयागराज में सपा ने भाजपा को बराबरी की टक्कर दी।

तीन मंत्री तब भी प्रयागराज में भाजपा नहीं बना सकी बढ़त

ब्लॉक प्रमुख चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश में बढ़त जरूर पाई है, लेकिन संगम नगरी में सभी 23 सीटें जीतने का दावा करने वाली भाजपा सहयोगियों के साथ महज 12 पर सिमट कर रह गई। समाजवादी पार्टी के यहां 10 ब्लॉक प्रमुख जीते हैं। एक निर्दल प्रत्याशी ने भी बाजी मारी है। उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य, कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी शहर से हैं। लेकिन इसका असर ब्लाक प्रमुख चुनाव में नहीं दिखाई दिया। यमुनापार में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के कारण पार्टी को हार मिली है। भाजपा के वरिष्ठ नेता भगवत पांडेय का कहना है कि निजी स्वार्थों से हटकर पार्टीहित के लिए काम करने पर चिंतन करना होगा। ऐसा नहीं हुआ तो अगले साल होने वाले चुनाव के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यमुनापार में पार्टी को मिली हार वास्तव में कार्यकर्ताओं की नहीं बल्कि मंत्रियों की हार है। जितने मंत्री उतने रास्ते। यहां वरिष्ठ नेताओं का जनाधार नहीं नजर आया। इसमें शहर के शीर्ष नेताओं की आपसी रंजिश और संगठन में आपसी मतभेद भी हार का एक कारण है। वहीं, रेवतीरमण सिंह ने अकेले बूते यमुनापार में सपा को खड़ा कर 

मंत्री की भी नहीं सुनते भाजपा के 'नए नेता

योगी सरकार में प्रतापगढ़ से इकलौते मंत्री मोती सिंह हैं। क्षेत्र में दबदबा भी है लेकिन कहना गलत नहीं होगा कि बस अपने क्षेत्र तक ही सीमित हैं। इसकी झलक दिखी प्रमुखी के चुनाव में। भाजपा पट्टी और आसपास के क्षेत्र तक सीमित रही तो वहीं रघुराज ने कुंडा से बाहर निकलकर सदर ब्लाक तक कब्जा जमा लिया। रामपुर के क्षेत्र में कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी की साख बची रही। जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए तो भाजपा ने जैसे वाक ओवर ही दे दिया था। तीन जुलाई को जिला पंचायत के चुनाव में प्रशासन पर आरोप लगा भाजपा प्रत्याशी क्षमा सिंह के पति पप्पन सिंह ने हंगामा शुरू किया तो मंत्री ने समझाया और फटकारा। लेकिन कुछ देर बाद सांसद संगमलाल गुप्ता, रानीगंज विधायक धीरज ओझा और सहयोगी दल अपना दल के विधायक राजकुमार पाल के साथ भाजपा जिला अध्यक्ष भी पप्पन के साथ धरने पर आ गए। मंत्री जी चाहकर भी धरना और प्रदर्शन रोक नहीं पाए। मामला समाप्त हुआ तो वह पहुंचे और सांसद-विधायक को वहां से उठने के लिए कहा। वह उठ पाते इससे पहले ही पप्पन सिंह आ गए और मोती सिंह से बहस करने लगे। बोले, जब सब खत्म हो गया तब आ रहे हैं, अब तक कहां थे। इस पर मंत्री गुस्सा हो गए और बोले किसी के नौकर नहीं है। सांसद और विधायक की ओर इशारा कर बोले हर बात को कहने का लोकतांत्रिक तरीका होता है। पप्पन को सीख देकर विधायकों को साथ लेकर वह चले गए

सिराथू में विरोधी के समर्थन में भाजपा विधायक

उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के घर यानी सिराथू में भाजपा से सीतू मौर्य और निर्दलीय उम्मीदवार दिलीप सिंह की पत्नी सुधा सिंह ब्लाक प्रमुख के उम्मीदवार थे। बीडीसी सदस्यों के अपहरण के आरोप में पुलिस नौ जुलाई को दिलीप सिंह को थाने ले गई तो उनके समर्थन में भाजपा विधायक शीतला प्रसाद पटेल आ गए। वह न केवल उसे छुड़ाने थाने गए बल्कि समर्थकों के साथ थाने में हंगामा भी किया। दिलीप सिंह पहले भाजपा से उम्मीदवारी चाह रहे थे। लेकिन पार्टी ने सीतू मौर्य को अपना घोषित प्रत्याशी बनाया था।

अपने ही क्षेत्र में लाचार दिखे सांसद

कौशांबी संसदीय क्षेत्र में कुंडा और बाबागंज विधानसभा को भी शामिल किया गया है। यहां भाजपा के सांसद विनोद सोनकर क्षेत्र में यदाकदा ही आते हैं। उनकी ज्यादा सक्रियता कौशांबी क्षेत्र में रहती है। आठ जुलाई को ब्लॉक प्रमुख के नामांकन में बाबागंज जाते समय सीओ सदर प्रतापगढ़ ने बैरीकेडिंग के साथ नियमों का हवाला देते हुए उनके काफिले को रोक दिया। इस पर वह गाड़ी से उतरकर सड़क पर खड़े हो गए और सीओ सदर तनु उपाध्याय के तरीके पर आपत्ति जताने लगे। दोनों की नोकझोंक होने लगी। सांसद यहां लाचार दिखे, बोले- कुंडा क्षेत्र में पुलिस एक व्यक्ति के लिए काम करती है। उनका इशारा कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह की ओर था। कहा, एक सांसद को इस तरह रोकना पूरी तरह गलत है। प्रोटोकाल का माखौल उड़ाना है। वह सड़क पर ही खड़े रहे और फोन कर डीएम और एसडीएम से बात की। करीब बीस मिनट के बाद अधिकारियों के निर्देश पर बैरियर उठाया गया और उन्हें जाने दिया गया। सांसद की लाचारी का यह हाल तब है जब ठीक एक दिन पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें शामिल किए जाने की चर्चा जोरों पर चली थी।

News Category: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.