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9 वर्ष पहले माननीय अदालत की तरफ से परमिट कैंसिल कर दिए जाने के बावजूद भी जालंधर समेत प्रदेश भर में मिनी बसों का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। परमिट कैंसिल हो जाने के बाद मिनी बसों को अवैध घोषित किया जा रहा
जालंधर। लगभग नौ वर्ष पहले माननीय अदालत की तरफ से परमिट कैंसिल कर दिए जाने के बावजूद भी जालंधर समेत प्रदेश भर में मिनी बसों का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। परमिट कैंसिल हो जाने के बाद मिनी बसों को अवैध घोषित किया जा रहा है। बावजूद इसके इन अवैध बसों को पकड़ने के लिए अभी तक भी कुछ खास नहीं हो पाया। इन मिनी बसों में सफर करना बेहद खतरनाक है। वजह यह है कि परमिट कैंसिल हो जाने के बाद कोई नई मिनी बस तो बनवाई नहीं गई है और बरसों पुरानी खटारा बसों का ही संचालन किया जा रहा है।
दूसरी खतरनाक बात यह भी है कि किसी भी कंपनी की तरफ से बिना परमिट के चल रही इन अवैध मिनी बसों का बीमा भी नहीं किया जा रहा है। परमिट ना होने के चलते परिवहन विभाग की तरफ से इन बसों की वार्षिक पासिंग प्रक्रिया भी अमल में नहीं लाई जाती है। पासिंग प्रक्रिया के दौरान संबंधित बस को रोड पर चलने के लिए फिटनेस का सर्टिफिकेट मिलता है। मिनी बसों का अधिकतर संचालन ग्रामीण क्षेत्र में किया जाता है, लेकिन इन अवैध मिनी बसों का संचालन शहर के मुख्य बस स्टैंड से ही होता है। मिनी बसों के लिए बकायदा तौर पर काउंटर भी रहते हैं और वहां से ही बसों का संचालन होता
गगनदीप बस सर्विस के संचालक संदीप शर्मा ने बताया कि पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के डिवीजन बैंच के माननीय जज जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस आरपी नागरथ ने 20 दिसंबर 2012 को फैसला सुनाते हुए 9 अगस्त 1990 को सभी जारी किए गए मिनी बस परमिट और इनको रिन्यू किए जाने को अवैध घोषित कर दिया था। उसके बाद मिनी बसों के परमिट रिन्यू हो ही नहीं सके। उन्होंने कहा कि बिना बीमा के मिनी बसें चल रही हैं
जालंधर के सचिव रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) बरजिंदर सिंह ने कहा कि पहले भी कुछ बसों को पकड़ा गया था और अब दोबारा मुहिम चलाकर बिना परमिट के चल रही मिनी बसों को जब्त किया जाएगा।