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RGA news
Trauma Ka Drama जिले में अस्पताल क्लीनिक या ट्रामा सेंटर लिखकर चल रहीं दुकानों पर अब स्वास्थ्य विभाग शिकंजा कसेगा। नए मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने दैनिक जागरण के अभियान का संज्ञान लेते हुए स्टाफ ने जिले के अस्पतालों का रिकार्ड मांगा है
Trauma Ka Drama : जागा बरेली का स्वास्थ्य विभाग
बरेली जिले में अस्पताल, क्लीनिक या ट्रामा सेंटर लिखकर चल रहीं दुकानों पर अब स्वास्थ्य विभाग शिकंजा कसेगा। नए मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने दैनिक जागरण के समाचारीय अभियान का संज्ञान लेते हुए स्टाफ ने जिले के अस्पतालों का रिकार्ड मांगा है। जिले के अस्पतालों का निरीक्षण करने के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी रिकार्ड के आधार पर ट्रामा लिखे मानकविहीन सेंटर व अस्पताल लिखकर चल रहीं झोलाछापों की दुकानों का निरीक्षण करेगी। दोषी मिलने पर रिपोर्ट बनाकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सौंपी जाएगी। जिसके बाद संबंधित अस्पताल या झोलाछाप की दुकान के खिलाफ कार्रवाई होगी। सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभी लिपिक लखनऊ प्रदर्शन में शामिल होने गए थे। ऐसे में रिकार्ड नहीं मिल सका।
झोलाछापों पर नियंत्रण रखने के लिए प्रदेश में ही सीएमओ पंजीकरण :
प्रदेश में लगातार बढ़ती झोलाछापों की दुकानों को रोकने के लिए कुछ साल पहले कोर्ट के निर्देश पर सरकारी अस्पतालों के पंजीकरण को स्वास्थ्य महकमे के अधीन लाया गया था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बरेली के अध्यक्ष डा.मनोज कुमार अग्रवाल बताते हैं कि देश में केवल प्रदेश में ही यह व्यवस्था है। इसका उद्देश्य था कि स्वास्थ्य विभाग पंजीकरण से पहले डाक्टर और अस्पतालों के मानक चेक कर ले। यहीं से समय-समय पर निरीक्षण और झोलाछापों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिय
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी देगा नोटिस
स्वास्थ्य विभाग के अलावा उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय ने भी जिले में बिना इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) चल रहे अस्पतालों के निरीक्षण की तैयारी कर ली है। दैनिक जागरण ने समाचारीय अभियान के दौरान कई छोटे-बड़े अस्पताल व ट्रामा सेंटरों में ईटीपी न होने की बात उजागर की थी। यही नहीं, कई अस्पतालों का प्रबंधन ईटीपी के बारे में जानता तक नहीं था। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक अभियंता शशि बिंदकर ने बताया कि टीम बनाकर क्षेत्रवार टीमों को निरीक्षण के लिए भेजा जाएगा। जिन अस्पतालों में ईटीपी नहीं मिला, उसे नोटिस थमाया जाएगा
10 बेड से ज्यादा हैं तो ईटीपी जरूरी
नियमों के मुताबिक 10 या इससे ज्यादा बेड के अस्पताल में इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लान लगाना जरूरी होता है। हालांकि कई जगह नियमों का पालन नहीं हो रहा था। यही नहीं, कुछ जगह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 10 से कम बेड दिखाकर अस्पतालों ने छूट ली, जबकि मौके पर दस से ज्यादा बेड पड़े मिले।