RGA न्यूज़
कमाऊ मुखिया की मौत पर सरकार की तरफ से दी जाने वाली 30 हजार की आर्थिक मदद में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिले में फर्जी दस्तावेजों से धनराशि हड़पी जा रही है। पिछले एक महीने में ऐसे 172 फर्जी मामले पकड़ में आ चुके हैं।
जिले में फर्जी दस्तावेजों से धनराशि हड़पी जा रही है।
अलीगढ़, राष्ट्रीय पारवारिक लाभ योजना के तहत कमाऊ मुखिया की मौत पर सरकार की तरफ से दी जाने वाली 30 हजार की आर्थिक मदद में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिले में फर्जी दस्तावेजों से धनराशि हड़पी जा रही है। पिछले एक महीने में ऐसे 172 फर्जी मामले पकड़ में आ चुके हैं, जिनमें आवेदकों ने फर्जी दस्तावेज इस्तमाल किए हैं। किसी का मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी है तो किसी का आय प्रमाण पत्र। हैरानी की बात यह है कि तहसीलों से भी मिलीभगत के कारण आंख बंद कर इन पर पात्रता की मुहर लगा दी गई है, लेकिन समाज कल्याण विभाग ने अंतिम जांच में इन फर्जी कागजातों को पकड़ लिया। अब डीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इन सभी फर्जी आवेदनों को निरस्त कर दिया है।
यह है योजना
गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के मुखिया की मौत पर आर्थिक सहायता के लिए सरकार ने राष्ट्रीय पारवारिक लाभ योजना संचालित कर रखी है। इसके तहत मृतक के आश्रित को 30 हजार का लाभ मिलता है। पिछले दिनों लखनऊ व कानुपर में इस योजना के तहत बड़े फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश हुआ था। ऐसे में शासन से सभी जिलों में सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए। इस पर जिले भी में समाज कल्याण विभाग ने एक-एक आवेदन की स्कूटनी शुरू कर दी। इसमें काफी चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। पिछले महीने तक तहसीलों से जिला स्तर पर करीब 895 आवेदन आए थे, इनमें 172 आवेदन फर्जी मिले।
इस तरह मिले फर्जी दस्तावेज
समाज कल्याण विभाग की टीम ने आवेदन में लगाए जाने वाले आय, मूल निवास, मृत्यु प्रमाण, आधार कार्ड समेत अन्य प्रमाण पत्रों की आनलाइन जांच की। क्यूआर कोर्ड से राजस्व विभाग की वेबसाइट पर पड़ताल की। इसमें सामने आया कि इन दस्तावेजों का तहसीलों में कोई रिकार्ड नहीं है। मृत्यु व आय प्रमाण भी फर्जी हैं।
कठघरे में यह जिम्मेदार
योजना में लाभार्थियों के दस्तावेजों की जांच का काम तहसील व लाभार्थियों को रकम का भुगतान करने की जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग की। तहसीलों से लेखपाल, कानूनगो और तहसीलदार तक की इसमें रिपोर्ट लगती है। एसडीएम के डिजीटल हस्ताक्षर के बाद संबंधित पोर्टल पर रिपोर्ट लाक होती हैं। अब तहसीलों से जुड़े यह सभी जिम्मेदार कठघरे में आ गए हैं। जब आवेदकों के दस्तावेज ही फर्जी थे तो फिर इन्हें पात्रता के लिए प्रमाणित कैसे कर दिया गया।
यह है पात्रता की श्रेणी
-देहात क्षेत्र में सालाना आय 46080 व शहरी क्षेत्र में 56460 तक हो
-मुखिया की उम्र 18 साल से लेकर 60 साल से अधिक न हो
-मौत के बाद एक साल के अंदर आवेदन करना अनिवार्य
केस -1
गंगीरी के जजाथल निवासी सर्वेश के नाम से सितंबर 2020 में पारवारिक लाभ योजना के लिए आवेदन हुआ था। कोल तहसील से इसकी जांच कराई गई। इसमें आवेदन पर पात्रता की रिपोर्ट लगा दी गई, लेकिन समाज कल्याण विभाग ने पैसे जारी होने से पहले इसकी स्कूटनी की तो मामला पकड़ में आ गया। जांच में मृत्यु प्रमाण पत्र ही फर्जी निकला।
केस-2
कोल तहसील के छर्रा के नई बस्ती निवासी नीलम के नाम से पिछले साल इस योजना में एक आनलाइन आवेदन हुआ। विभाग की तरफ से इसे जांच के लिए तहसील भेज दिया। यहां पर पर राजस्व टीम ने जांच पड़ताल की। टीम ने इसे पात्र मान लिया, लेकिन अंतिम जांच हुई तो इसमें भी मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी मिला। इसका आनलाइन कोई रिकार्ड नहीं था।
केस -3
इगलास के तोच्छ़ीगढ़ निवासी कुसुमा देवी ने नवंबर में पारिवारिक लाभ योजना के लिए आनलाइन आवेदन किया। इनकी भी तहसील टीम ने जांच की। लेखपाल समेत अन्य अफसरों की रिपोर्ट लगी। इसमें सब कुछ सही पाया गया। तहसील से मुआवजे के लिए आवेदन जिला कार्यालय पर भेज दिया, लेकिन अंतिम रिपोर्ट में इनका आधार कार्ड ही फर्जी निकला।
केस-4
अतरौली के प्रीमियम नगर निवासी गंगा देवी के नाम से भी पारवारिक लाभ योजना के लिए जनवरी में आवेदन आया था। अतरौली तहसील की टीम ने इसकी जांच की। लेखपाल, तहसीलदार समेत अन्य अफसरों की रिपोर्ट लगी। इसमें आवेदक की पात्रता सही मिली, लेकिन अंतिम जांच में मृतक की उम्र 70 से ऊपर मिली।
पारवारिक लाभ योजना में जिले में 172 ऐसे आवेदन मिले हैं, जिनमें फर्जी कागजातों को लगाया गया था। अब इन सभी आवेदनों को डीएम की अध्ययक्षता वाली कमेटी ने निरस्त कर दिया है।