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RGA न्यूज़
बरेली, एक तरफ माता पिता की इच्छा थी तो दूसरी तरफ बेटियों का जिद और जुनून। कोई इंजीनियर बनाना चाहता था तो कोई बैंक अफसर लेकिन बेटियां न तो इंजीनियर बनना चाहती थी और न ही बैंक अफसर उनका सपना तो प्रशासनिक अधिकारी बनने का था। जिसे उन्होंने अपनी जिद और जुनून से पूरा किया और डिप्टी कलेक्टर बन गईं। आइए जानते है शाहजहांपुर की बेटियों ने अपनी जिद और जुनून के दम पर ये मुकाम कैसे हासिल किया।
इच्छा थी बेटी बैंक अफसर बने लेकिन बन गई डिप्टी कलेक्टर
शाहजांहपुर में ट्रेनी डिप्टी कलेक्टर सुप्रिया गुप्ता ददरौल ब्लाक में खंड विकास अधिकारी का दायित्व निभा रही है। लखनऊ के जानकीपुरम निवासी बिल्डिंग मैटेरियल कारोबारी राजेंद्र गुप्ता तथा गृहिणी रेशमा गुप्ता की बेटी सुप्रिया गुप्ता नेपैतृक कारोबार व स्वभाव से विपरीत जाकर प्रशासनिक सेवा का सपना देखा। जबकि स्वजन सुप्रिया को चार्टर्ड एकाउटेंट या बैंक अफसर बनाना चाहते थे। लेकिन सुप्रिया ने करियर के लिए जोखिम उठाया। 2017 में पहली बार पीसीएस परीक्षा में असफल होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी। 2018 बैच की पीसीएस परीक्षा में डिप्टी कलेक्टर का पद हासिल कर लिया। सुप्रिया गुप्ता बताती है न्यूज पेपर पढ़ने से उन्हें अधिकारी बनने की प्रेरणा मिली। दृढ़ निश्चय व कड़ी मेहनत से मुकाम मिल गया। अब आइएएस को लक्ष्य बनाया है। इसके लिए अभी भी पढाई कर रही है।
माता पिता इंजीनियर बनाना चाहते थे लेकिन बेटी बन गई डिप्टी कलेक्टर
अगर जिद, जुनून व जज्बा हो तो सपनों को जीने की आजादी मिल सकती है। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनचाहा मुकाम हासिल किया जा सकता है। भावलखेड़ा ब्लाक के रौरा गांव निवासी अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह की बेटी दिव्यांशी सिंह ने सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। स्वजन चाहते थे कि वह इंजीनियर बनें, लेकिन दिव्यांशी प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती थीं। इसलिए नौकरी करने की बजाय आइएएस की तैयारी शुरू की।
माता-पिता ने भी सपनों को पूरा करने की आजादी दे दी। इस फिर क्याा था 2020 की पीसीएस परीक्षा में 34वीं रैंक के साथ वह डिप्टी कलेक्टर बन गई। वह आइएसए की परीक्षा भी पास कर चुकी हैं। चार अगस्त को उन्होंने साक्षात्कार भी दे दिया है।