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बेली गांव के वंशीधर अपने घर के सामने फावड़े से जलकुंभी हटा रहे थे। वह बताते हैं कि पानी कम हो गया लेकिन बाढ़ के साथ आइ जलकुंभी घर के सामने खाली जगह में फैल गई है।इसके कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है
बेली गांव, उंचवागढ़ी, ओमनगर, राजापुर, रसूलाबाद, सलोरी क्षेत्रों में मच्छरों का भी प्रकोप
प्रयागराज। राजापुर के निचले इलाके में पगडंडी के रास्ते हांफते गली तक पहुचे विशांत सिंह कुछ देर के लिए रुक जाते हैं। घर तक आने-जाने का रास्ता नहीं है क्या? पूछने पर बताते हैं कि कच्चे रास्ते में पानी भरा है। किसी तरह घर से आने-जाने का रास्ता बन गया है। बाढ़ का पानी कम होने से घर वापसी हो गई है। इससे कुछ राहत जरूर हुई है। लेकिन, कीचड़ और बदबू से परेशानी बढ़ गई है। जब तक जमीन सूखेगी नहीं, तब तक दिक्कत बनी रहेगी। सच तो यह है कि बाढ़ की आफत से कम बड़ी यह समस्या नहीं है। बीमारी फैलने के खतरे से ज्यादा तो बदबू के बीच घर में रहना और इसके बीच से आना जाना है।
मकानों के सामने लोग खुद करा रहे सफाई
बेली गांव के वंशीधर अपने घर के सामने फावड़े से जलकुंभी हटा रहे थे। वह बताते हैं कि पानी कम हो गया लेकिन, बाढ़ के साथ आइ जलकुंभी घर के सामने खाली जगह में फैल गई है।इसके कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इनके आतंक से दिन में ही घर में रहना मुश्किल हो गया है। कमोवेश, इसी तरह के हालात बेली कालोनी, उंचवागढ़ी, ओम नगर, गंगानगर, रसूलाबाद घाट के आसपास और सलोरी क्षेत्रों में भी है। लोग अपने घरों के आसपास सफाई खुद करने अथवा मजदूर लगाकर कराने में जुटे रहे।
गलियों में निगमकर्मी कर रहे सफाई और छिड़काव
हालांकि, गलियों और नालियों की सफाई करने में नगर निगम के सफाईकर्मी जुटे रहे। नालियों में कीटनाशक दवाओं और नमी वाली जगहों पर चूने का छिड़काव भी कराया गया। गंगानगर क्षेत्र की पार्षद हीरामनि त्रिपाठी का कहना है कि उनके वार्ड का करीब 70 फीसद हिस्सा बाढ़ से प्रभावित था। खाली प्लाटों और निचले क्षेत्रों की सफाई नहीं हो पा रही है। उन जगहों पर सफाई कराने में परेशानी हो रही है। बाकी हिस्सों में सफाई के लिए 10-10 सफाईकर्मी मम्फोर्डगंज और कटरा वार्डों से भी बुलाए गए थे।