आगरा में शिक्षकों का विरोध जारी, दो शिफ्ट में पढ़ाने को कतई नहीं हैं तैयार

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RGA न्यूज़

माध्यमिक स्कूलों के शिक्षक हैं सरकार के फैसले से आक्रोशित। काली पट्टी बांधकर पहुंच रहे हैं स्‍कूल। 23 अगस्त तक करेंगे लगातार प्रदर्शन 24 को सौंपेंगे ज्ञापन। कांवेंट स्‍कूलों में भी मांगे जाने लगे कुछ शर्तों के साथ अभिभावकों से सहमति 

आगरा के एक स्‍कूल में काली पट्टी बांधकर विरोध जतातीं शिक्षिकाएं।

आगरा, कोरोना वायरस संक्रमण से राहत मिलने पर स्कूल तो खुल गए, लेकिन दो पाली में शिक्षण कार्य कराने के आदेश से शिक्षक आक्रोशित हैं। उन्होंने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गुरुवार को भी शिक्षकों ने उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ, पांडेय गुट के युवा प्रकोष्ठ के आह्वान पर अपने स्कूलों में काली पट्टी बांधकर शिक्षण कार्य करते हुए विरोध जताया

प्रदर्शन का असर जिले के तमाम स्कूलों में दिखा। शिक्षकों ने सुबह साढ़े आठ बजे से लेकर साढ़े चार बजे तक, दोनों पाली में विरोध प्रदर्शन जारी रखा। संगठन प्रदेश अध्यक्ष डा. भोजकुमार शर्मा का कहना है कि माध्यमिक स्कूलों में लागू नया शिक्षण कार्यक्रम शिक्षक विरोधी है। इसे तत्काल वापस लिया जाए। विभाग की अपर सचिव ने सुबह 8 बजे से तीसरे पहर साढ़े चार बजे तक दो पाली में स्कूल खोलने और शिक्षकों को साढ़े आठ घंटे पढ़ाने के निर्देश दिए हैं, जो असंगत और नियम विरुद्ध है। इससे शिक्षकों को रोजाना दस से बारह कक्षाएं लेनी होंगी। प्रदर्शन 23 अगस्त तक जारी रहेगा, शिक्षक रोजाना काली पट्टी बांधकर विरोध करते हुए शिक्षण कार्य करेंगे। 24 अगस्त को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला विद्यालय निरीक्षक को सौंपा जाएगा। प्रदर्शन में रिपसूदन शर्मा, सुनीता कदम, संजू वाला, आशीष पांडे, चूणामणि सिंह, राहुल शर्मा, राममूर्ति, बच्चूसिंह चाहर, सतेंद्र माहेश्वरी, राजीव लाजरस, विष्णुकांत शर्मा, रेहान कुरैशी, डा. पदमा सिंह आदि मौजूद रहीं

कांवेंट स्‍कूलों में भी शर्तें अजीब

कक्षा पांच से आठ तक की क्‍लास कांवेंट स्‍कूलों में एक सितंबर से आरंभ होने जा रही हैं। इसके लिए स्‍कूल प्रबंधन अभिभावकों को अनुमति पत्र जमा कराने के लिए कह रहा है। अनुमति पत्र के साथ शर्तें कुछ अजीब हैं, इसके चलते अभिभावक अपने बच्‍चों को स्‍कूल भेजने को तैयार नहीं हो रहे। आगरा के एक प्रमुख स्‍कूल ने अनुमति पत्र में शर्त रखी है कि माता या पिता ही बच्‍चे को छोड़ने और लेने आएंगे। साथ ही बच्‍चा स्‍कूल दोपहिया वाहन पर नहीं आना चाहिए। यानि माता या पिता कार से बच्‍चे को छोड़ने जाएंगे और कार से ही लेने आएं। इस तरह की शर्त का पालन रोजाना कर पाना अभिभावकों के लिए नामुमकिन है। दूसरी तरफ स्‍कूल वैन और ऑटो बंद चल रहे हैं।

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