बिना चार्जशीट दिए निलंबित रखने के आदेश पर रोक, राज्य सरकार से जवाब तलब

harshita's picture

RGA न्यूज़

इस मामले में राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने जब सरकार से जानकारी मांगी तो आनन-फानन में 12 अगस्त को चार्जशीट तैयार की और 13 अगस्त को तामील कर दी। कहा कि गैर हाजिर रहने के कारण चार्जशीट नहीं दी जा सकी थी

बिना आरोप पत्र दिए एसआई (एम) को पांच माह तक निलंबित रखने के आदेश पर रोक

प्रयागराज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना आरोप पत्र दिए एसआई (एम) को पांच माह तक निलंबित रखने के आदेश पर रोक लगा दी है। इस मामले में राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने जब सरकार से जानकारी मांगी तो आनन-फानन में 12 अगस्त को चार्जशीट तैयार की और 13 अगस्त को तामील कर दी। कहा कि गैर हाजिर रहने के कारण चार्जशीट नहीं दी जा सकी थी। हाई कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया और कहा कि याची को निलंबन भत्ता भी नहीं दिया जा रहा है

सेवा में बहाल कर नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश

हाई कोर्ट ने याची को सेवा में बहाल कर नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है। साथ ही याची को दो हफ्ते में चार्जशीट का जवाब देने और विभाग को जांच प्रक्रिया तीन माह में पूरी करने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने प्रयागराज एसएसपी कार्यालय में कार्यरत एसआई (एम) विजय कुमार केशरी की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता बीएन सिंह राठौर ने बहस की। इनका कहना है कि निलंबन के पांच माह बाद भी चार्जशीट नहीं दी गई और न ही निलंबन भत्ता दिया गया है। ऐसे निराधार आरोप लगे हैं जिसके आधार पर बड़ा दंड नहीं दिया जा सकता। इ याचिका पर कोर्ट ने सरकार से जानकारी मांगी तो अधूरी दी गई। दोबारा पूछा गया कि चार्जशीट क्यों नहीं दी तो बताया गैर हाजिर थे, अब दी गई है। कोर्ट को बात सही नहीं लगी क्योंकि एक दिन पहले ही चार्जशीट दी गई। कोर्ट ने विभागीय जांच पूरी करने का निर्देश दिया है।

तदर्थ सेवा अवधि जोड़कर पेंशन तय करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी अवधेश कुमार सिंह को तदर्थ सेवा अवधि जोड़कर पेंशन आदि पाने का हकदार माना है। उनकी नियमित सेवा अवधि कम होने के कारण पेंशन देने से इन्कार करने के आदेश को रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट ने याची को नियुक्ति तिथि नौ मई 1992 से 16 मार्च 2015 तक की पूरी सेवा अवधि के आधार पर पेंशन आदि सभी परिलाभों का भुगतान करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने अवधेश कुमार सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया 

इनका कहना था कि भानु प्रताप शर्मा केस में कोर्ट ने तदर्थ सेवा अवधि को शामिल कर पेंशन निर्धारण करने का अधिकार निर्धारित किया है। इसकी अनदेखी कर याची की नियमित सेवा अवधि को ही जोड़ा गया और अवधि कम होने के कारण पेंशन देने से इंकार कर दिया गया। जिसे चुनौती दी गई थी। याची की नियुक्ति तदर्थ रूप से 1992 में की गई और 2005 से नियमित किया गया। याची का दावा था कि 1992 से सेवा अवधि जोड़ी जाय, जिससे वह पेंशन योजना का लाभ पाने का हकदार हो जाएगा मगर विभाग केवल नियमित सेवा अवधि को जोड़कर पेंशन योजना का लाभ देने से इंकार कर दिया था।

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.