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RGA न्यूज़
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण की पार्थिव देह का उनके पैतृक गांव मढौली में इंतजार ही होता रहा लेकिन काफिला गांव के आगे से गुजरता हुआ अतरौली पहुंच गया। पूरे गांव में शनिवार की रात से ही कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने की तैयारी की जा रही थी।
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण की पार्थिव देह का उनके पैतृक गांव मढौली में इंतजार ही होता रहा।
अलीगढ़, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण की पार्थिव देह का उनके पैतृक गांव मढौली में इंतजार ही होता रहा, लेकिन काफिला गांव के आगे से गुजरता हुआ अतरौली पहुंच गया। पूरे गांव में शनिवार की रात से ही कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने की तैयारी की जा रही थी। गांव के गेेट को सुबह सजाया गया। गांव के लोग आज कहीं नहीं गए। निधन की सूचना के बाद से सभी शोक में डूबे हुए हैं। रविवार तक सभी को यह पता था कि पार्थिक देह अलीगढ़ से पहले मढौली लाया जाएगा और उसके बाद अतरौली ले जाया जाएगा, लेकिन एेसा हुआ नहीं। पार्थिक देह लेकर रवाना हुआ काफिला गांव के गेट के आगे से गुजरा। यहां मौजूद गांव के लोगों ने पुष्पवर्षा की।
गांव मढ़ौली में हुआ था कल्याण का जन्म
कल्याण सिंह का जन्म अलीगढ़ जिले के अतरौली तहसील क्षेत्र के गांव मढ़ौली में पांच जनवरी 1932 को हुआ था। पिता का नाम तेजपाल लोधी और माता का नाम सीता देवी था। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा अतरौली से प्राप्त की। 12वीं तक की पढ़ाई केएमवी इंटर कालेज से की। अलीगढ़ के धर्मसमाज डिग्री कालेज से एमए व एलटी की पढ़ाई की। बतौर शिक्षक पहली नौकरी आर्यन कल्चर अकादमी हायर सेकेंडरी स्कूल रायपुर मुजफ्फता में लगी। यहां कुछ वर्ष पढ़ाया। इसके बाद अतरौली स्थित नगर पालिका इंटर कालेज में आ गए। इसी दौरान इनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव हो गया और वे आरएसएस के प्रचारक मंगी लाल के संपर्क में आ गए थे। कल्याण सिंह ने अतरौली तहसील क्षेत्र में संघ को बढ़ाने का काम किया। वह गांव-गांव शाखा लगवाने जाते थे। उस समय संघ से लोग मुश्किल से जुड़ते थे, मगर कल्याण सिंह के मृदुभाषी व्यक्तित्व से लोग प्रभावित हो जाया करते थे।
दस बार चुने गए विधायक
कल्याण सिंह ने 1962 में पहला चुनाव लड़ा। अतरौली विधानसभा क्षेत्र से वो मैदान में उतरे थे, उस समय उनकी उम्र 30 वर्ष थी। युवा जोश और उत्साह से वो लबरेज थे। पहले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 1967 में कल्याण सिंह ने फिर अतरौली विधानसभा क्षेत्र से ताल ठोंकी। इस बार उन्होंने जीत दर्ज की। फिर, राजनीति में उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे अतरौली विधानसभा क्षेत्र से दस बार विधायक चुने गए।