कल्याण के संग बिताए पलों को स्मरण कर लोग हुए गमजदा 

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RGA न्यूज़

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह के निधन से कस्बा छर्रा और आसपास क्षेत्र के उनके समर्थकों में भारी शोक की लहर है। लोग उनके साथ बिताए पलों को स्मरण करते हुए नम आंखों से श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन से कस्बा छर्रा और आसपास क्षेत्र के समर्थकों में भारी शोक की लहर है।

अलीगढ़, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह के निधन से कस्बा छर्रा और आसपास क्षेत्र के उनके समर्थकों में भारी शोक की लहर है। लोग उनके साथ बिताए पलों को स्मरण करते हुए नम आंखों से श्रद्धांजलि दे रहे हैं। ग्राम नगला खेरसा में उनकी ननिहाल है, यहां भी शोक छाया हुआ है। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताअों से कल्याण का बेहद लगाव रहा। छात्र जीवन में आएएसएस से जुड़ने के समय से ही यहां बार-बार आए। पार्टी के कार्यों से कई-कई दिन कस्बे में रुके। लिहाजा, लोगों से उनकी आत्मीयता बन

बार-बार ननिहाल आए

क्षेत्र के ग्राम नगला खेरसा में उनका ननिहाल बताया जाता है। गांव निवासी रिश्ते के मामा पूर्व प्रधान नरायन सिंह बताते हैं कि बाल्यावस्था में कल्याण सिंह अक्सर गांव आते रहते थे। अंतिम बार करीब तीस साल पूर्व वह गांव आए। मेरे घर पर ही कई घंटे रुके और भोजन ग्रहण किया। कल्याण सिंह को चंदा एकत्रित कर करीब 51 हजार रुपये की थैली भेंट की थी। सालों तक कल्याण सिंह के साथ राजनीति में सक्रिय रहा। गांव से उन्हें बेहद लगाव रहा। हर कोई शोक में है।

पांच पांडव नाम दिया 

कस्बा निवासी धर्मेंद्र गुप्ता बताते हैं कि मैं छात्र जीवन से ही अपने चार साथियों अनिरुद्ध, पदम माहेश्वरी, जयप्रकाश व सुरेंद्र गुप्ता के साथ बाबूजी से जुड़ गया। दिन रात एक करके पार्टी व कल्याण सिंह के लिए क्षेत्र में दौड धूप करते थे। जिसके चलते बाबूजी ने हमें पांच पांडव का नाम दिया। सत्ता में रहने पर उन्हें काफी गर्व था। कई बार अपनी बात मनवाने के लिए हम अड़ जाते थे। अंत में बाबूजी को कहना ही पड़ता था कि ठीक है अब जाओ, तुम्हारा काम हो जाएगा

कल्याण ने चार घंटे में सिखाई साइकिल

कस्बा के रिटायर्ड शिक्षक ओम प्रकाश गुप्त बताते हैं कि वर्ष 1952 से 1954 तक वह अलीगढ़ के डीएस कालेज में स्नातक की पढ़ाई साथ-साथ की थी। तब ज्वालापुरी में संघ की शाखा लगती थी। वे प्रमुख शिक्षक थे। उसी दौरान कल्याण ने उन्हें साइकिल चलाने को प्रेरित किया। जबरन मैदान पर ले गए। करीब चार घंटे में ही साइकिल चलानी सिखाई। कुछ समय पूर्व मुलाकात हुई तो साइकिल वाली बात की स्वयं चर्चा की। वर्ष 1977 में स्वास्थ्य मंत्री बनने पर मैंने बधाई दी तो उन्होंने धन्यवाद पत्र भेजा । 

हर मुलाकात में अपनेपन का अहसास 

पूर्व विधायक डा. रामसिंह ने बताया है कि राजनीति के शुरुआती दिनों में छर्रा और अतरौली से अपनी बाइक से ही अलीगढ और क्षेत्र में घूमा करते थे। हर मुलाकात में अपनेपन का अहसास होता था। वर्ष 1981 में कस्बा छर्रा में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सभा आयोजित हुई। कल्याण सिंह ने पदम माहेश्वरी की कस्बा स्थित पीली कोठी में ही प्रवास कर कार्यक्रम की तैयारियां की थी।

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