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पिछले दिनों यानी शुक्रवार को मोहर्रम का पर्व था। दूसरे दिन शनिवार को दिन में बारिश होती रही। रविवार को रक्षाबंधन का पर्व था। इन वजहों से सब्जियों की बिक्री घट कर लगभग एक चौथाई रह गई है। इससे सब्जी के थोक व्यापारी और किसानों को नुकसान हो रहा है
त्योहारों पर प्रयागराज में सब्जी की बिक्री सिर्फ 25 फीसद रही। सब्जियों के थोक दाम भी घटे हैं।
प्रयागराज, पिछले तीन-चार दिनों से त्योहारी सीजन होने के कारण प्रयागराज में सब्जियों की थोक बिक्री करीब 75 फीसद तक कम हो गई है। इससे सब्जियों की कीमतों में अब और भी गिरावट हुई है। सब्जियों की बिक्री न होने से किसान और सब्जी के थोक व्यापारी मंडी से मायूस होकर वापस लौटने पर विवश हैं। मंगलवार से बिक्री में कुछ सुधार होने की उम्मीद है।
सब्जी के थोक व्यापारी व किसानों को घाटा
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों यानी शुक्रवार को मोहर्रम का पर्व था। दूसरे दिन शनिवार को दिन में बारिश होती रही। इसके बाद रविवार को रक्षाबंधन का पर्व था। इन वजहों से सब्जियों की बिक्री घट कर लगभग एक चौथाई रह गई है। इससे सब्जी के थोक व्यापारी और किसानों के माथे पर शिकन है।
जानें आज सब्जियों की थोक कीमत
सोमवार को मुंडेरा मंडी में लौकी और भिंडी पांच रुपये किलो, नेनुआ और तरोई चार से पांच रुपये किलो, बैगन आठ से 10 रुपये किलो, करैला 10 रुपये किलो, टमाटर 20 से 30 रुपये किलो बिक रहा है। पिछले सप्ताह गुरुवार को गोला आलू नौ से 10 रुपये किलो, जी-फोर आलू 13 से 14 रुपये किलो, प्याज का दाम 21 से 22 रुपये किलो हो गया। वहीं नेनुआ का रेट 14 से 15 रुपये किलो, भिंडी का दाम 11 से 12 रुपये किलो, लौकी 12 से 15 रुपये पीस और कद्दू आठ से 10 रुपये रुपये किलो बिका था।
फुटकर में इस रेट में हो रही बिक्री
फुटकर में प्याज 30 से 40 रुपये किलो, अरुवी 20 रुपये से 30 रुपये किलो, नेनुआ 15 से 20 रुपये किलो, बैगन 20 से 30 रुपये किलो, परवल 40 रुपये किलो, गोभी 15 से 20 पीस, लौकी 10 से 20 रुपये किलो, कद्दू भी 20 से 30 रुपये किलो बिक रहा है। हालांकि सब्जियों के दाम में और कमी के आसार जताए जा रहे हैं।
छोला ओर पनीर की मांग से भी सब्जी बिक्री
मुंडेरा सब्जी एवं फल व्यापार मंडल के अध्यक्ष सतीश कुशवाहा का कहना है कि रक्षाबंधन पर्व पर बहुत से लोग रिश्तेदारी में चले गए। बाकी लोगों ने छोला और पनीर से काम चला लिया। इसकी वजह से सब्जियों की बिक्री करीब 75 फीसद तक घट गई है। मंडी से किसानों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ रहा है।