शतोंं में दम तोड़ गया ताला हार्डवेयर कारोबार व पार्क, जानिए पूरा मामला 

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RGA न्यूज़

देशभर में अलीगढ़ को अलग पहचान देने वाले ताला-हार्डवेयर कारोबार को और अधिक विकसित करने के लिए प्रस्तावित हार्डवेयर पार्क नियंत्रण की शर्तों में दम तोड़ गया। सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) माडल पर इसे स्थापित करने के लिए नक्शा तक पास होने के बाद संबंधी कंपनी पीछे हट गई।

ताला-हार्डवेयर कारोबार को विकसित करने के लिए प्रस्तावित हार्डवेयर पार्क नियंत्रण की शर्तों में दम तोड़ गया।

अलीगढ़, देशभर में अलीगढ़ को अलग पहचान देने वाले ताला-हार्डवेयर कारोबार को और अधिक विकसित करने के लिए प्रस्तावित हार्डवेयर पार्क नियंत्रण की शर्तों में दम तोड़ गया। सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) माडल पर इसे स्थापित करने के लिए नक्शा तक पास होने के बाद संबंधी कंपनी पीछे हट गई। वह पूरी तरह खुद का नियंत्रण चाहती थी, जबकि सरकार इस कंपनी में प्रशासनिक अधिकारियों को शामिल करना चाह रही थी। इसके चलते सरकार ने निर्धारित समय में काम पूरा न होने का कारण बताकर प्रोजेक्ट रद कर दिया। कंपनी को पार्क के लिए मिले तीन करोड़ 78 लाख रुपये वापस करने पड़े हैं।

आठ साल पहले मिली थी पार्क की स्‍थापना की स्‍वीकृति

केंद्र सरकार की असिस्टेंस टू स्टेट फार इंफ्रास्ट्रचुअल प्रमोशन एंड डेवलपमेंट फार एक्सपोर्ट (एसाइड) योजना के तहत इस पार्क की स्थापना की जा रही थी। आठ साल पहले स्वीकृति दी गई थी। शहर के प्रमुख निर्यातक राकेश अग्रवाल ने वर्ष 2013 में अलीगढ़ हार्डवेयर पार्क प्राइवेट लिमिटेड बनाकर पार्क की जिम्मेदारी ली। 2014 में जीटी रोड पर गांव भांकरी के पास 85 बीघा जमीन लेकर उसे समतल कराने का काम शुरू कराया। दो साल में काम पूरा होना था। इसके लिए दो करोड़ रुपये व जमीन कंपनी को और 10 करोड़ रुपये सरकार को देने थे। ये राशि सरकार ने वर्ष 2016 में जारी कर दी। इसमें से तीन करोड़ 78 लाख रुपये कंपनी ने लेकर पार्क के कामों में लगा दिए। 2019 में इसका नक्शा पास करा लिया गया। इसके कुल 110 प्लाटों के आवंटन की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही नियंत्रण पर बात बिगड़ गई और काम रुक गया। कुछ महीने पहले सरकार की ओर से प्रोजेक्ट रद करने का निर्णय ले लिया गया। 

क्या थी योजना 

यह निजी क्षेत्र का पहला औद्योगिक आस्थान होता। ताला-हार्डवेयर की फैक्ट्रियां स्थापित होनी थीं। मेटल उत्पादन की जांच के लिए लैब, एक बड़ा पार्क, मंदिर, गैस्ट हाउस की सुविधा योजना में शामिल थी। पार्क की जिम्मेदारी लेने वाली कंपनी की उच्चाधिकारियों से नियंत्रण को लेकर बात हुई थी। पार्क दो साल में विकसित होना था। इसके लिए चार किस्तों में पैसा जारी होना था। एक किस्त जारी हो चुकी थी। समय पर पार्क का काम पूरा न होने के कारण प्रोजेक्ट रद किया गया है।

-श्रीनाथ पासवान, उपायुक्त, उद्योग 

प्रोजेक्ट को संबंधी विभाग फ्री होल्ड नहीं करना चाह रहा था, जबकि पीपीपी माडल मे कंपनी का ही नियंत्रण होता है। जितने पैसे लिए थे, वह वापस कर दिए गए हैं। 

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