कवि सम्मेलन को लेकर गुरु-चेले में छिड़ गया दंगल

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गुरु गुड़ ही रह गए, चेले शक्कर हो गए यह कहावत तो आपने खूब सुनी होगी। बरेली के काव्य जगत में यही कहावत चरितार्थ हो गई है। वरिष्ठ कवि कमल सक्सेना और युवा कवि रोहित राकेश के बीच कवि सम्मेलनों के आयोजन की जंग इस कदर बढ़ी कि मामला कोर्ट तक जाने की नौबत आ गई।

पवन बिहार में रहने वाले कमल सक्सेना बरेली के कद्दावर कवियों में गिने जाते हैं। एक वक्त था जब बरेली में उनके बिना कोई कवि सम्मेलन नहीं होता था। आज से लगभग 10 वर्ष पूर्व कमल का युवा कवि रोहित राकेश से परिचय हुआ। कमल सक्सेना का कहना है कि उन्होंने रोहित को उंगली पकड़कर चलना सिखाया। उनके कारण ही रोहित की पहचान बनी। मगर धीरे-धीरे कर रोहित ने उन्हें किनारे करना शुरू कर दिया। हिंदी दिवस के अगले दिन शनिवार को रोहित ने मुझे फोन कर जिला जज वाले कवि सम्मेलन की बधाई दी। कमल ने बताया कि हालचाल पूछकर बातचीत को स्थानीय कवि सम्मेलनों की ओर मोड़ दिया। इनको लेकर हम दोनों में काफी बहस हुई। वार्तालाप की रिकार्डिंग करके उसने विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुपों में पोस्ट कर दिया है। इससे मेरी बदनामी होने की संभावना है। अपने वकील से मैंने बात की है। जल्द ही मैं रोहित पर मानहानि का दावा करूंगा।

छोटों को सम्मान नहीं देते गुरुजी

इस बारे में जब रोहित राकेश से बात हुई तो उन्होंने बताया कि इस में कोई दो राय नहीं है कि कवि कमल सक्सेना ने ही मुझे आगे बढ़ाया। मगर अपने व्यवहार के कारण धीरे धीरे कर वो कवि सम्मेलनों के मंच से गायब होने लगे। जब तक आप छोटों को सम्मान नहीं देंगे तब तक उनसे भी सम्मान की अपेक्षा ना रखें। मैं उनका काफी आदर करता हूं। इसके बाद भी उन्होंने मेरे ऊपर तमाम उल्टे सीधे आरोप लगाए। कई संस्थानों में जाकर भी वह मेरी आलोचना कर चुके हैं। इनमें से कुछ आरोप तो बेहद शर्मनाक हैं। उनकी ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मेरे पास है। इसमें उनके शब्द सुनकर कोई भी व्यक्ति अच्छा भाव नहीं रखेगा।

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