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RGA न्यूज़
बचपन डे केयर सेंटर विद्यालय समन्वयक ने बताया कि हमने अभिभावकों से संपर्क किया। प्रत्येक विशेष शिक्षकों ने अपनी यूनिट के बच्चों का दिव्यांगता वार समूह बनाया। इन समूहों में बच्चों के अभिभावकों को जोड़ा गया। इसमें काक्लियर इंप्लांट सर्जरी से लाभान्वित सेंटर के बच्चों को भी जोड़ा गया।
बचपन डे केयर सेंटर के समन्वयक चंद्रभान द्विवेदी ने कोरोना काल में भी दिव्यांग बच्चों में शिक्षा की अलख जगाई।
प्रयागराज, कोरोना काल में जब सभी स्कूल बंद थे, पठन-पाठन लगभग ठप सा हो गया था। तब भी चंद्रभान द्विवेदी को दिव्यांग बच्चों की शिक्षा प्रभावित होने की चिंता सताती थी। विपरीत परिस्थितियों में भी दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की ओर से संचालित 'बचपन डे केयर सेंटर’ (पूर्व प्राथमिक) के शिक्षकों ने पूर्व प्राथमिक स्तर के तीन से सात वर्ष तक के दिव्यांग बच्चों (श्रवण,दृष्टि,बौद्धिक दिव्यांग) को शिक्षा से जोड़े रखा। इससे इन बच्चों को मानसिक संबल तो मिला ही, उन्हें आधुनिक शिक्षा पायदान पर शिक्षित होने का तकनीकी अनुभव भी हुआ।
शिक्षा के साथ सुरक्षा का रखा ख्याल
विद्यालय के केंद्र समन्वयक चंद्रभान द्विवेदी ने बताया कि कोरोना काल में विद्यालय बंद हो गए थे तो स्कूल के सभी शिक्षकों ने इस विषय पर विचार-विमर्श किया। एकराय बनी कि शिक्षक अपने-अपने विषय के आधार पर बच्चों के पाठ्यक्रमों से संबन्धित वीडियो बनाकर उन तक पहुंचाएं ताकि बच्चे सुरक्षित भी रहें व शिक्षा से जुड़े भी रह सकें।
काक्लियर इंप्लांट सर्जरी से लाभान्वित बच्चों पर विशेष ध्यान
समन्वयक चंद्रभान द्विवेदी ने बताया कि कोरोना की पहली लहर के दौरान अगस्त 2020 में लाकडाउन समाप्त हुआ तो विभाग के उच्चाधिकारियों की सहमति व दिशानिर्देश के क्रम में अगस्त के पहले सप्ताह से आनलाइन शैक्षिक वीडियो के माध्यम से बच्चों को जोड़ना शुरू किया गया। इसमें काक्लियर इंप्लांट सर्जरी से लाभान्वित सेंटर के बच्चों को भी जोड़ा गया। सभी शिक्षक अपने-अपने विषय से संबन्धित पाठ्यक्रमों से संबंधित वीडियो बनाकर वाट्सएप ग्रुप पर अपलोड करने लगे, ताकि बच्चा जब भी उचित समझे तब अपने विषय से जुड़े वीडियो
बच्चों के रेस्पांस का वीडियो मंगाया गया
उन्होंने बताया कि भेजी गई विषयवस्तु को बच्चे ने कितना आत्मसात किया, इसके लिए अभिभावकों के सहयोग से बच्चों के रेस्पांस का भी वीडियो मंगाया गया। जिन बच्चों के अभिभावकों के पास एन्ड्रायड मोबाइल नहीं थे, उनको फोन करके व होम विजिट करके शैक्षिक सपोर्ट प्रदान किया गया। जुलाई व अगस्त 2021 में भी शिक्षण प्रशिक्षण का उक्त माध्यम अनवरत जारी रहा।
साझेदारी से मजबूत हुआ दिव्यांगता वार समूह
विद्यालय समन्वयक ने बताया कि इस प्रयास को सफल बनाने में अभिभावकों का सहयोग जरूरी था। इसके लिए हमने अभिभावकों से सम्पर्क किया। प्रत्येक विशेष शिक्षकों ने अपनी यूनिट के बच्चों का दिव्यांगता वार समूह बनाया। इन समूहों में बच्चों के अभिभावकों को जोड़ा गया। उसके बाद विशेष शिक्षकों ने सुरुचिपूर्ण ढंग से इस प्रकार वीडियो बनाना शुरू किया, जिससे बच्चों को वीडियो देखते समय अपनी कक्षा में बैठे रहने जैसा अनुभव प्राप्त हो। काक्लियर इम्प्लाट सर्जरी वाले दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षकों ने वाणी प्रशिक्षण के वीडियो बनाए। जिन बच्चों के शिक्षण में प्रभावी हस्तक्षेप की आवश्यकता थी उनके लिए उनकी शैक्षिक प्रास्थिति के अनुसार वीडियो बनाकर वाट्सएप ग्रुप व फेसबुक पेज पर साझा किया गया। समन्वयक के निर्देशन में विशेष शिक्षकों ने अब तक करीब 180 शैक्षिक वीडियो बनाए हैं। वीडियो पर बच्चों व उनके अभिवावकों का सकारात्मक रुझान मिलने से प्रयास को उड़ान सी मिल गई।
आत्मनिर्भर बनाने का भी काम
सेंटर पर दिव्यांग बच्चों की स्वीकृत क्षमता 60 है। कुल छह शिक्षक एवं अन्य कर्मचारी नियुक्त हैं। जो इन सभी दिव्यांग बच्चों को स्वाभिमान के साथ जीना सिखा रहे हैं। इस विद्यालय में सहायक अध्यापक के तौर पर संदीप शुक्ला, प्रीति सिंह (बौद्धिक अक्षम) बच्चों को व महेश मिश्रा एवं सविता जायसवाल (एचआइ), दिलीप पांडेय व संजू कुशवाहा (वीआइ) अध्यापक के तौर पर सेवा दे रहे हैं। यह विशेष शिक्षक बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए संस्कार व दुलार के माहौल में उनकी शिक्षा के साथ उनके स्वाभिमान को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रहे है।