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बरेली में जानलेवा बुखार का कहर को रोकने में गंबूजिया मछली अहम रोल निभा सकती थी। मगर मच्छरों का लार्वा खाने वाली गंबूजिया मछली देहात के तालाब और धान के खेतों में डालने में स्वास्थ्य अधिकारियों ने लापरवाही कर दी। शहर के अक्षर बिहार और संजय कम्युनिटी हाल के तालाब में सात हजार गंबूजिया मछली छोड़कर रस्म अदायगी कर दी गई।
गंबूजिया मछली मच्छर के लार्वा को बहुत तेजी से खाती है। मच्छरों की पनपने की आशंका को खत्म कर देती है। तत्कालीन कमिश्नर पीवी जगनमोहन ने संक्रामक रोगों को कंट्रोल करने के लिए मच्छरों के लार्वा को नष्ट कराने की योजना तैयार की थी। डीडी मत्स्य के जरिए कमिश्नर ने लखनऊ से गंबूजिया मछली का बीज मंगाया। कमिश्नर नें गंबूजिया मछली का प्रदर्शन किया । हेल्थ अफसर और नगरायुक्त की मौजूदगी में गंबूजिया मछली को अक्षर बिहार तालाब और संजय कम्युनिटी सेंटर से सटे तालाब में डाला गया। इन दोनों तालाबों में गंबूजिया की नर्सरी तैयार की जानी थी। हेल्थ अफसरों को बुखार आशंकित गांवों के तालाब और धान के खेतों में गंबूजिया मछली डालने को कहा था। मगर हेल्थ अफसरों ने गांव की सुध नहीं ली। गांवों के तालाब और धान की फसल में गंबूजिया मछली नहीं छोड़ी गई। जिसकी वजह से रामगंगा से सटे गांवों में दिमागी बुखार और मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी देने वाले मच्छर पनप गए। हालांकि अब अधिकारी गंबूजिया मछली छोड़ने की योजना के बारे में पता जरूर लगा रहे हैं।
एडी मत्स्य की सुनिए : प्रभारी एडी मत्स्य सोमपाल गंगवार ने बताया कि हमें सात हजार गंबूजिया मछली मंगाकर तत्कालीन कमिश्नर की मौजूदगी में स्वास्थ्य अधिकारियों को सौंप दी थीं। शहर के दो तालाबों में इनको छोड़ा गया था। देहात में गंबूजिया डलवाने की जिम्मेदारी हेल्थ विभाग की थी।