बरसाना के इस वन को राधारानी ने स्वयं लगाया था अपने हाथाें से, जानिए पूरी बात

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RGA न्यूज़

 2021 गोवर्धन पर्वत की तरह बरसाना के गहवरवन की भी परिक्रमा लगाई जाती है। यह परिक्रमा चार किलोमीटर की है। परिक्रमा में ब्रह्मांचल पर्वत के चारों शिखरों दानगढ़ मानगढ़ भानगढ़ विलासगढ़ के दर्शन होते हैं। मान्यता है कि राधारानी आज भी यहां सहचरियों संग करती हैं विचरण।

गोवर्धन पर्वत की तरह बरसाना के गहवरवन की भी परिक्रमा लगाई जाती है।

आगरा, वैसे तो पूरा ब्रज राधारानी की लीलाओं को संजोए है, लेकिन बरसाना में उनकी तमाम बाल लीलाओं के निशान आज भी मौजूद हैं। ब्रह्मांचल पर्वत के मध्य स्थित गहवरवन जो लताओं व पताओं से घिरा है। जिसे राधारानी ने स्वयं अपने हाथों से लगाया था। इसी वन में राधारानी अपनी सहचरियों के साथ नित्य विहार करती थीं। यहां तक कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी कई बार गहवरवन की लताओं-पताओं के बीच राधारानी व उनकी सखियों के साथ रास रचाया था। गहवरवन के आसपास तमाम लीलास्थल है। दानगढ़, मोरकुटी, मानगढ़ में भगवान श्रीकृष्ण व राधारानी ने तमाम बाल लीलाएं की थीं। आज भी यह बाल लीलाएं बूढ़ी लीला महोत्सव के दौरान जीवंत हो उठती है।

गहवरवन में विचरण करती है बृषभान दुलारी

वृंदावन के निधिवन जहां आज भी राधाकृष्ण महारास करते है। ऐसे ही मान्यता है कि गहवरवन में भी राधारानी अपनी सहचरियों के साथ विचरण करती है। गहवरवन में साधना करने वाले तमाम संतो ने रात के अंधेरों में छोटी सी बच्ची की आवाज भी सुनी, लेकिन आजतक उन्हें कोई दिखाई नहीं दिया।

डकैतों का अड्डा हुआ करता था गहवरवन

आज से 68 साल पहले जब ब्रज के विरक्त संत रमेश बाबा गहवरवन में आए थे, तो यह एक निर्जन वन था। जहां डकैतों का अड्डा हुआ करता था। ब्रज के विरक्त संत रमेश बाबा ने बताया कि गहवरवन कभी जहान डकैत व उसके साथियों का अड्डा था। उन्होंने भी कई बार गहवरवन में पायलों की झंकार सुनी थी। जिसके बाद वो संत बन गए और राधारानी की कृपा से सांसारिक मोह का परित्याग कर दिया। गहवरवन एक पौराणिक स्थल है। जहां राधारानी अपनी सखियों के साथ विचरण करती है। आज भी बृषभान नंदनी गहवरवन की लताओं पताओं में विचरण करती है। जिनकी पायलों की झंकार हमने कई बार सुनी है। यहां तक कि रात के अंधेरों में एक छोटी से बच्ची की आवाज भी सुनी, लेकिन बाहर निकल के देखा तो कोई भी नहीं दिखा।

गहवरवन की परिक्रमा लगाकर धन्य होते है श्रद्धालु

गोवर्धन पर्वत की तरह बरसाना के गहवरवन की भी परिक्रमा लगाई जाती है। यह परिक्रमा चार किलोमीटर की है। परिक्रमा में ब्रह्मांचल पर्वत के चारों शिखरों दानगढ़, मानगढ़, भानगढ़, विलासगढ़ के दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि गोवर्धन की सात परिक्रमा व गहवरवन की एक परिक्रमा का बराबर महत्व है। मान्यता है कि ब्रह्मांचल पर्वत ब्रह्मा जी का ही स्वरूप है। पर्वत के चारों गढ़ ब्रह्माजी के मुख व गहवरवन वक्ष स्थल है।  

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