अब बरेली के एसआरएमएस में भी मूकबधिरों का हो सकेगा इलाज, जानें कितनी लगेगी फीस

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RGA न्यूज़

प्रदेश में अभी तक शल्य चिकित्सा अनुदान योजना के तहत इम्पैनल्ड अस्पतालों में 16 अस्पताल ही थे। अब बरेली का एसआरएमएस मेडिकल कालेज भी इस लिस्ट आ गया है। अब बरेली मंडल से मूकबधिर बच्चों को सर्जरी के लिए लखनऊ के चक्कर नहीं लगाने होंगे।

राज्य सरकार ने भी एसआरएमएस मेडिकल कालेज को पैनल में किया शामिल

बरेली, प्रदेश में अभी तक शल्य चिकित्सा अनुदान योजना के तहत इम्पैनल्ड अस्पतालों में 16 अस्पताल ही थे। लेकिन अब बरेली का एसआरएमएस मेडिकल कालेज भी इस लिस्ट शुमार हो गया है। जिसके बाद अब बरेली मंडल व आसपास के जिलों से मूकबधिर बच्चों को सर्जरी के लिए लखनऊ के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इस बाबत केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के अधीन मुंबई के अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक एवं श्रवण दिव्यांगजन संस्थान के साथ एमओयू भी साइन हो चुका है।

राज्य सरकार ने मूकबधिरों के लिए चलाए जा रहे कोक्लियर इंप्लांट प्रोग्राम के लिए एसआरएमएस मेडिकल कालेज को भी अपने पैनल में शामिल कर लिया है। इस बाबत दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ने 21 सितंबर को पत्र जारी किया। ऐसे में अब पांच साल तक के मूकबधिर बच्चों का निश्शुल्क इलाज व अन्य खर्च तीमारदारों पर नहीं पड़ेगा, बल्कि सरकारी मदद से खर्च होगा। एसआरएमएस मेडिकल कालेज के डायरेक्टर आदित्य मूर्ति ने कहा कि इससे जरूरतमंद सभी बच्चों की कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी अब संभव हो पाएगी।

कोक्लियर इंप्लांट प्रोग्राम सर्जरी के लिए काम शुरु : जिला प्रशासन और जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी बरेली को भेजे अपने पत्र में दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के संयुक्त निदेशक रोहित सिंह ने एसआरएमएस मेडिकल कालेज को कोक्लियर इंप्लांट प्रोग्राम के लिए प्रदेश सरकार के पैनल में शामिल किए जाने की जानकारी दी है। साथ ही एसआरएमएस मेडिकल कालेज में कोक्लियर इंप्लांट प्रोग्राम सर्जरी हेतु आवश्यक कार्रवाई कराने के निर्देश दिए। मालूम हो कि इसी वर्ष जनवरी में ही केंद्र सरकार ने एसआरएमएस मेडिकल कालेज को कोक्लियर इंप्लांट प्रोग्राम के लिए अपने पैनल में शामिल किया था। केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ने अपना सहमति पत्र एसआरएमएस मेडिकल कालेज के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा था।

पांच से 20 लाख रुपये तक होते हैं खर्च : ईएनटी एवं एचएनएस विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा.रोहित शर्मा ने कहा कि कुछ वर्ष पहले हमने विभाग में कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी आरंभ की थी। यह सर्जरी उन मूकबधिर बच्चों के कानों में करने की जरूरत पड़ती है जो सुनने में पैदायशी अक्षम हों या बाद में किसी इंफेक्शन की वजह से सुनने में सक्षम न हों। यह महंगी सर्जरी है। इसमें लगने वाली डिवाइस की कीमत ही पांच लाख से 20 लाख तक होती है। इसी वजह से यह सर्जरी आम लोगों की पहुंच से बाहर 

एसआरएमएस ट्रस्ट हर साल दो बच्चों की करा रहा निश्शुल्क सर्जरी : पिछले कई वर्षों से एसआरएमएस ट्रस्ट अपनी ओर से प्रति वर्ष दो बच्चों की सर्जरी करा रहा था। इसके आपरेशन से लेकर डिवाइस और दवाइयों तक का खर्च ट्रस्ट अदा करता है। सरकार के पैनल में शामिल होने से एसआरएमएस मेडिकल कालेज जरूरतमंद पांच वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों की निश्शुल्क कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी करने में सक्षम होगा। आपरेशन के बाद सुनने और बोलने की ट्रेनिंग भी बच्चों को दी जाएगी।

प्रदेश के ये अस्पताल भी पैनल में हैं शामिल : लखनऊ में चार, कानपुर में तीन और वाराणसी में दो हैं अस्पताल। इसके अलावा प्रयागराज, गोरखपुर, आगरा, मथुरा, मेरठ, गाजियाबाद, अलीगढ़ में होता है मूकबधिरों का निश्शुल्क इलाज।

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