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चित्रकूट के पहाड़ी विकास खंड अंतर्गत छेछरिया खुर्द निवासी हाकी पूर्व कोच प्रेमशंकर शुक्ल से मिलने कोच पियूष दुबे गुरुवार को चित्रकूट आए हैं। ओलिंपिक में भारतीय टीम को सफलता दिलाने वाले प्रयागराज निवासी कोच पियूष को बचपन में प्रेमशंकर ने ही हाकी की स्टिक पकड़नी सिखाई थी।
अपने गुरु पूर्व कोच प्रेमशंकर शुक्ला के साथ हाकी कोच पियूष दुबे (बीच में) स्टिक लड़ाते हुए।
चित्रकूट, टोक्यो ओलिंपिक के दौरान भारतीय पुरुष हाकी टीम को कांस्य पदक दिलाने वाले कोच पियूष दुबे गुरुवार की देर शाम को चित्रकूट पहुंचे। दो दिवसीय दौरे पर आए कोच का स्थानीय खेल प्रेमियों ने माला पहना कर स्वागत किया। उन्होंने गुरु से आशीर्वाद लिया और बच्चों को अपने संस्मरण बताए। नगर स्थित दृष्टिबाधित दिव्यांग की संस्था दृष्टि पहुंकर उन्होंने दिव्यांग छात्राओं के बीच राष्ट्रीय खेल हाकी की बारीकियाें को बताया। दूसरे दिन वह शुक्रवार को चित्रकूट पब्लिक स्कूल और श्रीजी इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों के बीच पहुंकर उन्होंने बच्चों को हाकी गुरुमंत्र दिए।
अपने गुरु का लिया आशीर्वाद: चित्रकूट के पहाड़ी विकास खंड अंतर्गत छेछरिया खुर्द निवासी हाकी पूर्व कोच प्रेमशंकर शुक्ल से मिलने कोच पियूष दुबे गुरुवार को चित्रकूट आए हैं। ओलिंपिक में भारतीय टीम को सफलता दिलाने वाले प्रयागराज निवासी कोच पियूष को बचपन में प्रेमशंकर ने ही हाकी की स्टिक पकड़नी सिखाई थी। इसलिए देश का नाम रोशन करने के बाद कोच पियूष अपने गुरु से मिलने चित्रकूट पहुंचे। उन्होंने अपने गुरु से आशीर्वाद लिया। वहीं पर मौजूद नगर के खेल प्रेमी व समाजसेवियों ने उनका स्वागत किया। इसके बाद वह दृष्टि संस्था पहुंचे। यहां की दृष्टिबाधित छात्राओं को पूर्व कोच प्रेमशंकर शुक्ल ने हाकी के गुर सिखाए है। छात्राओं से मिल कर वह काफी प्रसन्न हुए। छात्राओं ने उनसे खेलकूद को लेकर चर्चा की। दिव्यांग बालिकाओं का उन्होंने ने हौसला बढ़ाया और अपने तमाम संस्मरण साझा किए। दूसरे दिन दोनों स्कूल में भी उन्होंने अधिकांश समय बच्चों को बीच बिताया। उनको हाकी के गुर बताए।
लोगों ने सफलता पर दी बधाई: चित्रकूट पब्लिक स्कूल में उनके जीवन पर एक डाक्यूमेंट्री भी दिखाई गई। सभी ने उनकी मेहनत व सफलता पर बधाई दी। इस मौके पर दृष्टि संस्था के महासचिव शंकर लाल गुप्ता, चित्रकूट पब्लिक स्कूल के प्रबंधक रचित अग्रवाल, राजीव अग्रवाल, विवेक अग्रवाल, अशोक द्विवेदी, केशव शिवहरे, आचार्य नवलेश दीक्षित, डा सुरेंद्र अग्रवाल, स्वप्निल अग्रवाल, महेंद्र अग्लवाल, पंकज अग्रवाल, कमलेश कुमार, पंकज दुबे आदि मौजूद रहे।