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भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता के लिए प्रशासन ने गरीब कल्याण मेले में दिन में 12 बजे और कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी के लिए अपराह्न दो बजे आगमन का समय निर्धारित किया था। फिर अचानक दोनों नेताओं के आगमन का समय एक कैसे हो गया।
प्रतापगढ़ में गरीब कल्याण मेले में कांग्रेस और भाजपा समर्थकों में मारपीट के पीछे कहीं साजिश तो नहीं थी।
प्रयागराज, प्रतापगढ़ जिले के ब्लाक सांगीपुर सभागार में शनिवार को गरीब कल्याण मेले का आयोजन जिस तरह से दंगल में तब्दील हो गया, उससे साफ था कि अगर जरा सी चूक और हो जाती तो कई जनाजे उठने तय थे। इस पूरे प्रकरण में जिस तरह से भाजपा और कांग्रेसी कार्यकर्ता हमलावर हुए और बवाल हो गया, सवाल उठ रहा है कि आखिर इसके पीछे की पटकथा किसने लिखी थी।
प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को भी आशंका नहीं था
गौर करने वाली बात यह है कि जब भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता के लिए प्रशासन ने गरीब कल्याण मेले में दिन में 12 बजे और कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी के लिए अपराह्न दो बजे आगमन का समय निर्धारित किया था। फिर अचानक दोनों नेताओं के आगमन का समय एक कैसे हो गया। जाहिर सी बात है कि दो विपरीत विचारधारा के लोगों का आमना-सामना होगा तो टकराहट होगी। सवाल उठता है कि क्या इस बात का अंदाजा वहां मौजूद प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को नहीं हो पाया।
भाजपा सांसद व कांग्रेसी नेता में सौहार्दपूर्ण था व्यवहार
जिस समय भाजपा सांसद संगमलाल गुप्ता पहुंचे, मंच पर पहले से आसीन कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और सीएलपी लीडर आराधना मिश्रा मोना ने उनका उठकर स्वागत किया। जब दोनों दलों के नेताओं के बीच ऐसा सौहार्दपूर्ण व्यवहार दिख रहा था तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि कांग्रेस और भाजपा कार्यकर्ता आपस में मरने-मारने पर उतारू हो गए। जबकि उग्र कार्यकर्ताओं को सांसद संगम लाल गुप्ता और कांग्रेस नेता मोना दोनों मिलकर शांत करा रहे थे। अचानक वे कौन लोग थे, जिन्होंने मारपीट शुरू कर दी और देखते ही देखते गरीब कल्याण मेले का आयोजन दंगल में तब्दील हो गया।
मारपीट में निर्दोष भी पिटे
इस दौरान पुलिस हतप्रभ थी। किसी तरह पुलिसकर्मियों ने लाठी भांजकर दोनों दलों के उपद्रवियों को खदेड़ दिया, नहीं तो भारी बवाल होता और कई लोगों की जान भी जा सकती थी। इस मारपीट में कई निर्दोष लोग भी पिट गए, जो इस मेले में अपने भविष्य का सपना लेकर आए थे, बेवजह परेशान भी हुए।
सवालों का जवाब जांच के बाद ही मिल सकता है
आखिर एलआइयू क्या कर रही थी। वहां ड्यूटी पर तैनात एसडीएम और सीओ क्या कर रहे थे। इस दौरान दोनों दलों के कुछ नेता ऐसे भी थे, जो मारपीट करने वाले अपने लोगों को शांत कराने में लगे थे। इन्हीं कुछ लोगों की वजह से एक बड़ी साजिश टल गई, नहीं तो बहुत ही हिला देने वाला मंजर होता। इसमें दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं को भी समझदारी से काम लेना चाहिए था। इस मामले में कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे। इन सवालों का जवाब जांच के बाद ही मिल सकता है।
अपने निवास पर कार्यकर्ताओं को समझाते रहे प्रमोद तिवारी
मारपीट के बाद कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी अपने गांव संग्रामगढ़ स्थित आवास पर सैकड़ों कार्यकर्ताओं से घिरे रहे। कार्यकर्ता आक्रोशित थे। वहीं प्रमोद तिवारी उन्हें शांत करा रहे थे। इस दौरान उनके फोन पर लगातार काल आ रही थी। वे सभी को जवाब दे रहे थे। मीडिया भी उन्हें घेरे थी, वह सबसे यही कह रहे थे, शासन स्तर से इस प्रकरण की जांच होनी चाहिए। जो दोषी हो, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। वह लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास रखते हैं, भाजपा शासन कमेटी गठित कर मामले की जांच कराए तो सबकुछ साफ हो जाएगा।
एसओ को थप्पड़ मारने की उड़ी अफवाह
भाजपा व कांग्रेस समर्थकों के बीच मारपीट के दौरान पुलिस से सीएलपी लीडर आराधना मिश्रा मोना की जमकर बहस हो गई। इस दौरान कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर अफवाह उड़ा दी कि कांग्रेस नेता मोना ने एसओ सांगीपुर को थप्पड़ जड़ दिया है। इस मामले में सीओ लालगंज जगमोहन ने साफ किया कि कुछ देर के लिए बहस हो गई थी, लेकिन थप्पड़ जडऩे वाली बात महज अफवाह उड़ी।