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RGA न्यूज़
उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में लाखों की संख्या में कई वर्षों से डिग्रियां वितरण के लिए पड़ी हैं। कई डिग्रियां तो 10-20 साल अथवा उससे अधिक पुरानी हैं। इनमें तमाम विश्वविद्यालय तो तमाम महाविद्यालय स्तर पर लंबित हैं। इन डिग्रियों का वितरण नहीं हो सका है
राज्य विश्वविद्यालयों में लाखों की संख्या में डिग्रियां वितरण के लिए पड़ी हैं। अब इनका वितरण होगा।
प्रयागराज, प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) राज्य विश्वविद्यालय और उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालय अब लंबित पड़ी पुरानी डिग्रियों को बांटने की मुहिम चलाएंगे। इसके लिए कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में नौ कुलपतियों की कमेटी गठित की गई है। हाल में कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया कि दीक्षा समारोह के बाद डिग्रियां निश्शुल्क छात्रों को बांट दी जाएं।
लाखों की संख्या में डिग्रियां वितरण को रखी हैं
उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में लाखों की संख्या में कई वर्षों से डिग्रियां वितरण के लिए पड़ी हैं। कई डिग्रियां तो 10-20 साल अथवा उससे अधिक पुरानी हैं। इनमें तमाम विश्वविद्यालय तो तमाम महाविद्यालय स्तर पर लंबित हैं। पूर्व में राज्यपाल की तरफ से इस मसले पर पूछा गया तो तमाम कुलपतियों ने बताया कि छात्रों द्वारा उपाधि शुल्क जमा नहीं करने, अदेयता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने और छात्रों का पता उपलब्ध नहीं होने की दशा में इन डिग्रियों का वितरण नहीं हो सका।
इस वजह से पुरानी डिग्रियां हैं लंबित
इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी की बैठक बुलाई गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि सबसे पहले तो दीक्षा समारोह के तत्काल बाद सभी छात्रों की डिग्रियां वितरित कर दी जाएं। बैठक में कुलपतियों की तरफ से यह भी बताया गया कि बिुत पुरानी डिग्रियों को प्राप्त करने में अब छात्रों में रुचि नहीं है। इस वजह से भी पुरानी डिग्रियां लंबित हैं। विश्वविद्यालय ने इन डिग्रियों को तैयार तो करा लिया है। अब इन्हें सुरक्षित रखने के दायित्वों का भी निर्वहन किया जा रहा है। इस पर अनावश्यक व्यय हो रहा है।
फीस के साथ जमा होगा उपाधि शुल्क
बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि भविष्य में दीक्षा समारोह के तत्काल बाद डिग्री वितरित कर दी जाए। सभी विश्वविद्यालय अनिवार्य तौर पर डिजीलाकर में डिग्री उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। सभी छात्रों से देय उपाधि शुल्क सत्र के अंतिम वर्ष की फीस के साथ जमा करा लिया जाए। अंतिम अंकपत्र या प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट देने से पूर्व उनसे अदेयता प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया जाए। परीक्षा से पूर्व छात्रों का पता जुटा लिया जाए, ताकि डाक से डिग्री भेजी जा सके। डिग्री भेजने के लिए छात्रों से किसी प्रकार का आवेदन पत्र नहीं लिया जाएगा।
डिग्री का निश्शुल्क होगा वितरण
विगत वर्षाें की लंबित डिग्रियों को छात्रों को वितरित करने के लिए अब उपाधि शुल्क की बाध्यता को समाप्त कर निश्शुल्क बांटने का फैसला लिया गया है। साथ ही अदेयता प्रमाण पत्र की आवश्यकता खत्म की गई है। तर्क दिया गया कि सभी छात्रों को अंतिम अंकपत्र पर प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट निर्गत किए जा चुके होंगे। पहले चरण में चार सत्र 2016-17, 2017-18, 2018-19 और 2019-20 की डिग्री वितरित करने का लक्ष्य रखा जाए। इसके लिए वृहद अभियान चलाया जाएगा। इसमें पुरा छात्रों की मदद ली जाएगी। यदि किसी अभिलेखों के आधार पर मोबाइल नंबर, मेल आइडी से संपर्क हो तो वार्ता कर डाक से डिग्री भेज दी जाए
कमेटी में इन विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं शामिल
लखनऊ विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी, डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, शकुंतला मिश्रा पुर्नवास विश्वविद्यालय लखनऊ, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर, किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ, एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ और भातखंडे संगीत संस्थान विश्वविद्यालय लखनऊ के अलावा कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी।