शाहजहांपुर में टिकैत के दौरों को भांप नहीं पाया प्रशासन, दौड़ाया विरोध का करंट, पीलीभीत से लखीमपुर खीरी तक लगातार रहे सक्रिय

harshita's picture

RGA न्यूज़

खंड समेत समूची तराई में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत आंदोलन को हवा देते रहे और प्रशासन को कानों-कान भनक तक नहीं लगी। टिकैत ने पूरे आपरेशन को बड़ी सफाई से अंजाम दिया।

शाहजहांपुर में टिकैत के दौरों को भांप नहीं पाया प्रशासन

 बरेली, रुहेलखंड समेत समूची तराई में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत आंदोलन को हवा देते रहे और प्रशासन को कानों-कान भनक तक नहीं लगी। टिकैत ने पूरे आपरेशन को बड़ी सफाई से अंजाम दिया। वे पूरे क्षेत्र में अलग-अलग वजह बताकर दौरे करते और आंदोलन में जान फूंक जाते। उसी का नतीजा रहा, बड़ी संख्या में यहां के किसान गाजीपुर बार्डर पर धरने में शामिल होने के लिए जाते रहे। साथ ही जब भी जरूरत पड़ती, तराई में छिटपुट विरोध उठ खड़ा होता।

चुपके से डाल दी आंदालन की नीव 

किसानों के दिल्ली घेरने के साथ ही तराई में भी आंदोलन की नीव पड़ी। रामपुर के रास्ते रुहेलखंड में उनकी इंट्री हुई और वे पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी तक समर्थन जुटाने पहुंच गए। कुछ समय के लिए उनका ध्यान तराई से हटकर पश्चिम उत्तर प्रदेश और पंजाब पर टिका लेकिन, दिल्ली में आंदोलन कमजोर पड़ने के साथ ही उन्होंने फिर यहां का र

बड़ी चालाकी से बदल दी रणनीति 

इस बार उन्होंने बड़ी चालाकी से अपनी रणनीति बदली। वे किसानों से समर्थन जुटाने के लिए सीधे नहीं पहुंचते। कभी ट्रैक्टर की एजेंसी के उद्घाटन तो कहीं अन्य निजी कार्यक्रम में उनकी भागीदारी बढ़ती रही। जानकारों के मुताबिक, यह उनके 10 से ज्यादा दौरों का ही असर था कि बड़ी संख्या में किसानों ने यहां से दिल्ली प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कूच करते रहे। साथ ही शाहजहांपुर, पीलीभीत, लखीमपुर में भी छिटपुट तरीके से अपनी ताकत दिखाते।

खुफिया तंत्र भी भांप नहीं पाया मकसद 

हैरानी इस बात की है कि पुलिस-प्रशासन और खुफिया तंत्र भी टिकैत के दौरों का मकसद सही ढंग से नहीं भांप पाया और किसान आंदोलन अंदर-अंदर ही समूचे तराई में फैल गया। पुलिस के भी जानकार बताते हैं, तिकुनिया में काले झंडे दिखाने का कायर्क्रम उसी विरोध की कड़ी का हिस्सा था, जिसने बाद में अनहोनी का रूप ले लिया।

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.