![harshita's picture harshita's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-2585-1622647100.jpg?itok=uOzLfLx7)
![](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/news/06_10_2021-isbt1_22087732.jpg)
RGA न्यूज़
आइएसबीटी ईदगाह बिजली घर बस स्टैंड हैं सम्मिलित। मंत्री परिषद ने मंगलवार को अवस्थापना एवं औद्यौगिक विकास विभाग द्वारा जारी की गई पीपीपी गाइडलाइंस द्वारा निर्धारित बिड डाक्यूमेंट में संशोधन प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है। पहले चरण में 17 बस स्टैंड को चिन्हित किया है।
आइएसबीटी आगरा का सुंदरीकरण पीपीपी मॉडल पर किया जाएगा।
आगरा, सार्वजनिक सहभागिता (पीपीपी) से आगरा के तीन बस स्टैंड का स्वरूप बदलेगा। आगरा का आइएसबीटी तो पहले से ही प्रस्तावित था, जबकि ईदगाह, बिजली घर बस स्टैंड को भी सम्मिलित कर लिया गया है। मंत्री परिषद ने मंगलवार को अवस्थापना एवं औद्यौगिक विकास विभाग द्वारा जारी की गई पीपीपी गाइडलाइंस द्वारा निर्धारित बिड डाक्यूमेंट में संशोधन प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है। इससे विकास के रास्ते में आ रहे अवरोध दूर होंगे।
वर्ष 2016 में आइएसबीटी को पीपीपी पर विकसित करने की योजना थी। विभागीय सूत्रों के अनुसार इसके लिए प्रस्ताव ही नहीं किए गए, जिसके बाद प्रक्रिया लंबे समय से लंबित चल रही थी। इसका कारण नियमों की जटिलता बताया जा रहा था। आइएसबीटी परिसर में जगह-जगह गड्ढे हैं, तो कई स्थानों पर उधड़ा हुआ है। जगह-जगह जलभराव रहता है, जिससे संक्रमण के पनपने की आशंका भी बनी रहती है। आए दिन बस पकड़ने की जल्दी में यात्री चोटिल होते हैं। वहीं परिसर में पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं है। वहीं ईदगाह और बिजलीघर बस स्टैंड भी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। पीपीपी से नई सुविधाएं और संसाधन विकसित होंगे। मंगलवार को मंत्री परिषद ने 23 बस स्टैंड को निजी सार्वजनिक सहभागिता पर विकसित किए जाने की श्रेणी में पहले चरण में 17 बस स्टैंड को चिन्हित किया है। सभी को डिजाइन बिल्ड फाइनेंस आपरेट एंड ट्रांसफर माडल पर विकसित किया जाना है। विकसित किए जाने में आ ही दिक्कतों को दूरे करते हुए संशोधन प्रस्ताव को अनुमोदन मिल गया है।
आइएसबीटी की ओर जाने वाली सड़क पर भी हैं गहरे गड्ढे
हाईवे से आइएसबीटी की ओर जाने वाली सड़क पर गहरे गड्ढे हैं। इनमें आए दिन दोपहिया वाहन गिर जाते हैं, तो आटो भी पलटते हैं। इसके समाधान के लिए क्षेत्रीय लोगों द्वारा कई बार मांग की गई, लेकिन समाधान नहीं हो सका है। इधर यहां फ्लाईओवर बनाने का काम भी धीमी गति से चल रहा है।