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RGA न्यूज़
तीसरे पहर 434 बजे तक है अमावस्या उसके बाद शुरू होगी प्रतिपदा। अमावस्या पर किया श्राद्ध पूर्वजों की आत्मा को प्रसन्न करने के लिए काफी। जिन पूर्वजों की पुण्यतिथि के बारे में जानकारी न हो उनका श्राद्ध अमावस्या पर किया जा सकता है।
पितृ अमावस्या आज बुधवार को है, आज पूर्वजों काे तर्पण किया जा सकता है।
आगरा, बुधवार को पितृ अमावस्या है। पितृ अमावस्या को ज्ञात-अज्ञात पितरों और ऐसे पितरों जिनकी तिथि की जानकारी नहीं हाेती, उनका तर्पण किया जाता है। अमावस्या पर किया गया श्राद्ध, परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करने के लिए काफी है।
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष का संबंध पितरों से है। इस मास की अमावस्या को पितृ अमावस्या या पितृ विसर्जन अमावस्या कहते हैं। इस दिन पितृ पक्ष में धरती पर आए पितरों को याद कर विदा किया जाता है। पितृ पक्ष में यदि पितरों को याद न किया हो तो सिर्फ अमावस्या को ही उन्हें याद कर दान करने, ब्राह्मण व निर्धन को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है। पितृ अमावस्या को श्राद्ध पक्ष संपन्न होता है। जिन पूर्वजों की पुण्यतिथि के बारे में जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या पर किया जा सकता है। इस दिन श्राद्ध करने में हुई भूल या किसी कारणवश छूटे हुए श्राद्ध का भी पुण्य मिलता है। इसलिए अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि पितृ अमावस्या मंगलवार शाम 7:05 बजे से शुरू हो गई, जो बुधवार को तीसरे पहर 4:34 बजे तक रहेगी। अमावस्या दोपहर में हाेती है, इसलिए पितरों का श्राद्ध दोपहर में ही करना श्रेयस्कर है।
दान का है महत्व
पितृ अमावस्या के दिन दान का अमोघ फल प्राप्त होता है। इस दिन राहु से संबंधित बाधाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है।
इसलिए करते हैं श्राद्ध
पितृ पक्ष में पूर्वजों का तर्पण या श्राद्ध नहीं करने वालों को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। पितरों की आत्मा की शांति को तर्पण और श्राद्ध कर्म महत्वपूर्ण हैं। पितृ पक्ष पितराें के प्रति ऋण को उतारने का जरिया है। आगरा में पितृ अमावस्या के अवसर पर लोगों ने स्नान ध्यान कर दान भी किया।
पितरों को तृप्त करने के लिए ये करें
पितृ अमावस्या के दिन प्रात: काल स्नान कर दक्षिण की ओर मुख करके बैठें। फिर पानी में काला तिल और सफेद फूल डालकर पितरों का तर्पण करें। इसके बाद आकाश की ओर हाथ उठाकर सभी पितरों को प्रणाम करें। इस दौरान आप ये भी ध्यान कर सकते हैं कि मैं आप सभी पितरों को अपने वचनों से तृप्त कर रहा हूं। आप सभी तृप्त हों। फिर ब्राह्मण को भोजन कराएं और भोजन का कुछ भाग कौआ, कुत्ता आदि को देवें। शाम को घर के बाहर दीपक जलाएं और पितरों को खुशीपूर्वक विदा करें।