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RGA न्यूज़
वर्ष 2019 में स्कूलों में शिक्षकों के समायोजन में धांधली के लगे थे आरोप। शासन ने खंड शिक्षा अधिकारी समेत कई अधिकारियों को किया था निलंबित। शासन के आदेश पर विजिलेंस ने जांच के बाद तीनों के खिलाफ दर्ज किया मुकदमा।
आगरा में खंड शिक्षा अधिकारी और शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा हुआ है।
आगरा, बेसिक शिक्षा विभाग में दो साल पहले शिक्ष्रकों के समायोजन व उनकी तैनाती में धांधली के आरोपों में तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी और दो शिक्षक विजिलेंस जांच में फंस गए हैं। शासन के निर्देश पर आगरा विजिलेंस ने अपनी जांच में धांधली व अनियमितता के आरोपों को सही पाया। मामले में विजिलेंस थाने में तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र पटेल और दो शिक्षकों राकेश शर्मा व जियाउल हक हसन कादरी के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
जिले में करीब 2491 परिषदीय विद्यालय हैं। जिसमें 1625 प्राथमिक विद्यालय (कक्षा एक से पांचवीं तक) 432 जूनियर हाई स्कूल (कक्षा 6 से 8 तक) और 434 कंपोजिट विद्यालय (कक्षा 1 से 8 तक) हैं।जिनमें पौने तीन लाख से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं। जबकि जिले में आठ हजार से ज्यादा शिक्षक और दो हजार से अधिक शिक्षा मित्र हैं। दो साल पहले परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया को लागू किया गया। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपने खास लोगों को लाभान्वित करने के लिए उन्हें नजदीक ब्लाक में आने वाले विद्यालयों में तैनात कर दिया। वहीं, जिन लोगों ने सिफारिश नहीं लगाई या जिनकी काेई पहुंच नहीं थी।उन शिक्षकों को दूरस्थ ब्लाक के विद्यालयों में समायोजित कर दिया। अनिमितताओं की शिकायत के बाद जिला समिति ने समायोजन को निरस्त कर दिया था। इसके बावजूद शिक्षक मूल तैनाती वाले विद्यालय में नहीं लौटे।
शिक्षक संगठनों ने विभाग के अधिकारियों पर धांधली के आरोप लगाए थे। इसकी शिकायत शासन में की थी। जिस पर तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी बरौली अहीर वीरेंद्र पटेल समेत कई लोगों को निलंबित किया गया था। शासन ने धांधली के अारोपों की जांच विजिलेंस को सौंपी थी। विजिलेंस ने जांच के बाद वीरेंद्र पटेल एवं शिक्षकों राकेश शर्मा व जियाउल हक हसन कादरी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है।
ये लगे थे आरोप
-जो स्कूल धरातल पर नहीं थे, वहां भी कर दिया था शिक्षकों का समायोजन
-समायोजन सूची में विज्ञान और गणित के शिक्षकों को भी शामिल कर दिया था। जबकि शासन की ओर से प्रत्येक विद्यालय में विज्ञान और गणित का एक-एक शिक्षक होना अनिवार्य कर दिया गया था।
-परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों से सुविधा शुल्क लेकर तैनाती करने के भी आरोप थे।
-परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के समायोजन में शासनादेश और शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप था
-विभागीय सांठ गांठ के चलते कुछ शिक्षकों को स्वीकृत पद के सापेक्ष मूल विद्यालयों से बाहर कर दिया गया।
-जिन स्कूलों में विद्यार्थी कम थे वहां अधिक संख्या में शिक्षक तैनात कर दिए।
-जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या अधिक थी, वहां कम शिक्षकों को तैनात किया गया।