नवरा़त्रि के पहले दिन मंदिराें में उमड़ी श्रृद्घालुओं की भीड़, घरों में हुई कलश स्थापना

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RGA न्यूज़

 शारदीय नवरात्र के पहले दिन शहर के मंदिरों में मातारानी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं। विधि-विधान से मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की गई। साथ ही लोगों ने घरों और मंदिरों में कलश स्थापना की

नवरा़त्रि के पहले दिन मंदिराें में उमड़ी श्रृद्घालुओं की भीड़

बरेली, शारदीय नवरात्र के पहले दिन शहर के मंदिरों में मातारानी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं। विधि-विधान से मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की गई। साथ ही लोगों ने घरों और मंदिरों में कलश स्थापना की। देवी मंदिर माता रानी के जयकारों से गूंज उठे। श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर भगवती के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री से सुख समृद्धि की कामना भी की।

गुरुवार सुबह से ही घर-घर मां की पूजा की तैयारियां शुरू हो गयीं। भक्तों ने अपने घरों में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया। बदायूं रोड स्थित चौरासी घंटा मंदिर, कोर्ट रोड स्थित काली माता मंदिर, साहूकार स्थित श्री नवदुर्गा मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं ने जी भर मां के दर्शन किए। सुख समृद्धि के लिए कामना की। 

कालीबाड़ी मंदिर में हुई काली जी की स्थापना

कालीबाड़ी स्थित काली देवी मंदिर में दूर शहरों से श्रृद्धालु माता रानी के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पुजारी बताते हैं कि श्रद्धा के अनुसार लखनऊ और पीलीभीत से दो परिवार नवरात्र में सिर्फ मंदिर की साफ-सफाई के लिए आते हैं। इतिहासमंदिर का इतिहास 250 वर्ष पुराना है। मान्यता के अनुसार पहले यहां सिर्फ भैराे बाबा और गोबर से बनी माता रानी की प्रतिमा थी। मां काली ने बंगाली परिवार को सपने में यहां आकर उनकी प्रतिमा स्थापित करने को कहा। तब उन्होंने यहां आकर काली माता की प्रतिमा की स्थापना कर प्राण प्रतिष्ठा की।

पुजारी बताते हैं विशेषता

यहां श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कई लोग यहां धागा बांधकर भी जाते हैं। उनकी इच्छा पूरी हो जाने के बाद धागा खोलते हैं और श्रद्धा के साथ मां को नारियल भेंट करते हैं। नवरात्र के आखिरी दिन मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों द्वारा भंडारे का आयोजन भी होता है।

मंदिर अद्वितीय शक्ति पीठ है। चार पीढ़ियों से मंदिर में माता रानी की सेवा में लगे हैं। नवरात्र के दिनों में मंदिर के बाहर मेले जैसा माहौल होता है। बड़ी संख्या में श्रृद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। बृजेश गौड़, पुजारी

बचपन में माता-पिता के साथ और अब शादी के बाद पत्नी के साथ मां काली के दर्शन के लिए आते हैं। जब से माता रानी की सेवा करनी शुरू की तब से परिवार से सुख समृद्धि का माहौल है। 

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