RGA न्यूज़
जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर जीटी रोड से गभाना-बरौली मार्ग पर स्थित माता वनखंडनी देवी का मंदिर भक्तों के अटूट विश्र्वास एवं श्रद्धा का प्रतीक है। नवरात्र में तो यह मंदिर श्रद्धालुओं की विशेष आस्था एवं भक्ति का प्रमुख केंद्र बन जाता है।
माता वनखंडनी देवी का मंदिर भक्तों के अटूट विश्र्वास एवं श्रद्धा का प्रतीक है।
अलीगढ़, जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर जीटी रोड से गभाना-बरौली मार्ग पर स्थित माता वनखंडनी देवी का मंदिर भक्तों के अटूट विश्र्वास एवं श्रद्धा का प्रतीक है। नवरात्र में तो यह मंदिर श्रद्धालुओं की विशेष आस्था एवं भक्ति का प्रमुख केंद्र बन जाता है। इस दौरान पूजा-अर्चना के साथ कई धार्मिक अनुष्ठान आयोजित होते हैं। नवमी पर यहां से मां दुर्गे व काली की भव्य झांकियां निकाली जाती हैं।
इतिहास
मंदिर की स्थापना गभाना राजघराने के कुंवर राय बहादुर सिंह ने वर्ष 1941 में कराई थी। तब से ही मंदिर के प्रति माता के भक्तों की श्रद्धा व आस्था लगातार बरकरार है। साल में एक बार यहां देवछठ पर्व पर विशेष आयोजन किया जाता है। नगर कोट, वैष्णों देवी धाम आदि की यात्रा के लिए क्षेत्र के लोग यहीं से रवाना होते हैं।
प्रचीन मान्यता
इस मंदिर में श्रद्धालु मन्नतें पूरी होने पर माता के दर्शन व आशीर्वाद पाने के लिए अवश्य आते हैं। नवरात्र में तो ममतामयी मां वनखंडनी देवी श्रद्धा एवं समर्पण से प्रसन्न होकर मनौतियां लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की झोली खुशियों से भर देती हैं। ऐसी मान्यता है कि माता के दरबार आने वाला कोई भी श्रद्धालु यहां से कभी खाली हाथ नहीं लौटा है
तैयारियां
मंदिर पर भक्तों द्वारा विशेष साज-सज्जा की जाती है और देवी जागरण, भजन संध्या, अखंड रामायण पाठ के साथ ही भंडारा व प्रसाद वितरण का कार्यक्रम किया जाता है। श्रद्धालु रानी अंबिका राज सिंह का कहना है कि माता रानी की भक्तों पर कृपा यूं तो हर समय बरसती रहती है लेकिन नवरात्र के समय तो मां की बात ही कुछ निराली हो जाती है। देवेंद्र शर्मा ने बताया कि मंदिर का पौराणिक इतिहास होने के कारण काफी मान्यता है। नवरात्र में तो मंदिर तीर्थ स्थल में परिवर्तित हो जाता है।