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RGA न्यूज़
मनीष हत्याकांड में कानपुर कमिश्नरेट पुलिस आरोपितों की तलाश में गांव पहुंची तो सामने आया कि इंस्पेक्टर पांच दिन तक यहां छिपा रहा। गांव से फरार होने के बाद पुलिस की दबिश पड़ी। अभी तक कोई भी आरोपित पुलिसकर्मी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है
मनीष हत्याकांड में आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
कानपुर, गोरखपुर पुलिस के खिलाफ मनीष गुप्ता के स्वजन का अविश्वास यूं ही नहीं है। मनीष हत्याकांड के बाद आरोपित इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह पांच दिन अमेठी जिले में अपने गांव में छिपा रहा। दूसरी ओर गोरखपुर पुलिस उसे तलाश न पाने का ढोल पीटती रही। यह सच्चाई तब सामने आई, जब कानपुर कमिश्नरेट पुलिस की टीम आरोपित इंस्पेक्टर के गांव पहुंची और पूछताछ की।
गोरखपुर पुलिस की बर्बर पिटाई से कानपुर के प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मृत्यु हो गई थी। मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने इस मामले में गोरखपुर के रामगढ़ ताल के तत्कालीन थाना प्रभारी जगत नारायण समेत अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। एसआइटी (विशेष जांच दल) गठित होने के बाद जब जांच टीम गोरखपुर पहुंची तो वायरल वीडियो, प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर उपनिरीक्षक राहुल दुबे, मुख्य आरक्षी कमलेश यादव और आरक्षी प्रशांत कुमार को भी आरोपित बनाया गया।
इन सभी हत्यारोपित पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ व एसआइटी के नेतृत्व में छापेमारी की गई, लेकिन कोई सफलता मिलते नहीं देख गुरुवार को पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने आरोपित पुलिस कर्मियों की तलाश में छह टीमों को भेजा था। इनमें से एक टीम हत्यारोपित इंस्पेक्टर के अमेठी स्थित मुसाफिरखाना थानाक्षेत्र के गांव नारा पहुंची। स्वजन ने पहले तो आरोपित इंस्पेक्टर के बारे में कोई भी जानकारी न होने की बात की, लेकिन जब टीम ने गांव के लोगों से पूछताछ की तो सामने आया कि 29 सितंबर से तीन अक्टूबर तक जगत नारायण गांव में ही रहा। इस बीच उसकी तलाश में कोई भी पुलिस टीम गांव नहीं आई। उसके गांव से फरार होने के बाद पुलिस की दबिश पड़ी। इससे साफ है कि दबिश डालने वाली गोरखपुर की पुलिस भी आरोपित इंस्पेक्टर से मिली हुई थी और सूचना लीक की गई। पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने बताया कि टीमें आरोपितों की गिरफ्तारी के प्रयास कर रहीं हैं। अब तक कोई सफलता नहीं मिली है।