मां कल्‍याणी देवी का चंद्रघंटा स्‍वरूप में अनूठा श्रृंगार, जानें शनिवार पूजन का लाभ

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RGA न्यूज

 कल्‍याणी देवी मंदिर के प्रबंधक पंडित श्‍यामजी पाठक ने मां कल्‍याणी का महात्‍म्‍य बताया। कहा कि मान्यता है कि जो भी भक्त शनिवार एवं मंगलवार को मां छिन्नमस्तिका देवी का दर्शन करते हैं सभी बाधाओं से कष्टों से मां भगवती उनको दूर रखती हैं।

मंगलवार और शनिवार को मां कल्‍याणी देवी का पूजन और दर्शन का विशेष महत्‍व है

प्रयागराज, शारदीय नवरात्र में हर ओर आस्‍था की गंगा बह रही है। इसमें हजारों की संख्‍या में भक्‍त गोते लगा रहे हैं। प्रयागराज के देवी मंदिर सुबह से गुलजार हो रहे हैं, देर रात तक चहल-पहल रहती है। घंटे, घडि़याल के साथ ही भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्‍ठान देवी मंदिर परिसर में हो रहे हैं। मां के जयकारे से मंदिर परिसर गूंज रहे हैं। नित मां के नए स्‍वरूप का दर्शन, पूजन कर मनौती भी मांगी जा रही है।

नवरात्र महोत्‍सव में उमड़ रही भीड़

प्रयागराज के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां कल्‍याणी देवी के मंदिर में भी नवरात्र महोत्सव मनाया जा रहा है। मंदिर में नवरात्र के तीसरे दिन शनिवार को मां चंद्रघंटा स्वरूप में भगवती का श्रृंगार दर्शन भक्तों को प्राप्त हुआ। भगवती कल्याणी के बायीं तरफ विराजमान छिन्नमस्तिका देवी 10 महाविद्याओं में से एक हैं। काली स्वरूप मां का भक्तों ने पूजन दर्शन अर्चन कर भोग प्रसाद चढ़ा

पंडित श्‍यामजी पाठक ने शनिवार व मंगलवार को दर्शन का बताया महात्‍म्‍य

कल्‍याणी देवी मंदिर के प्रबंधक पंडित श्‍यामजी पाठक ने मां कल्‍याणी का महात्‍म्‍य बताया। कहा कि मान्यता है कि जो भी भक्त शनिवार एवं मंगलवार को मां छिन्नमस्तिका देवी का दर्शन करते हैं, सभी बाधाओं से कष्टों से मां भगवती उनको दूर रखती हैं। आचार्य पंडित सुशील पाठक ने बताया कि मां कल्याणी धाम में वैदिक ब्राह्मणों द्वारा जहां शतचंडी पाठ नित्य हो रहा है। भक्तों के द्वारा नाना प्रकार के अनुष्ठान, जप, पाठ भी संकल्पित किए जा रहे हैं।

भक्‍तों का कष्‍ट निवारण करती हैं मां कल्‍याणी

नवरात्र के तीसरे दिन मां कल्‍याणी का चंद्रघंटा स्वरूप में आज श्रृंगार किया गया है। नाना प्रकार के सुगंधित पुष्पों के माध्यम से मां के गर्भ ग्रह को सोनू श्रीमाली, यीशु माली द्वारा सुंदर आकृति प्रदान की गई है। पंडित श्‍यामजी पाठक ने बताया कि मां का स्वरूप 10 भुजा धारण किए अनेक अस्त्र शस्त्रों से सुशोभित अपने आज के वाहन बाघ पर सवार मस्तक पर चंद्रमणि धारण किए भक्तों को अभय वरदान प्रदान करती हैं। सच्चे और एकाग्र भक्तों के कष्टों का निवारण शीघ्र करती है। मां की उपासना से विनम्रता का विकास होता है।

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