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मानसून में जलभराव की समस्या से शहर यूं ही नहीं जूझता नगर निगम के अफसरों का लापरवाह रवैया इसके लिए जिम्मेदार है। नालों की सफाई के लिए हर साल ढाई से तीन करोड़ रुपये खर्च होता है इसके बाद भी नाले बारिश के दिनों में चोक हो जाते हैं।
पेंटिंग, पोट्रेट की ये दुकान नाले पर ही खड़ी हुई थी। इसे हटाया गया।
अलीगढ़, मानसून में जलभराव की समस्या से शहर यूं ही नहीं जूझता, नगर निगम के अफसरों का लापरवाह रवैया इसके लिए जिम्मेदार है। नालों की सफाई के लिए हर साल ढाई से तीन करोड़ रुपये खर्च होता है, इसके बाद भी नाले बारिश के दिनों में चोक हो जाते हैं। तब विभागीय अफसर शहर की भौगोलिक स्थिति कटोरेनुमा बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का प्रयास करते हैं। जबकि, नालों को अतिक्रमण से निजात दिलाने के कोई ठोस प्रयास नहीं किए जाते। अतिक्रमण के चलते नालों की निकासी अवरुद्ध हो रही है। मुख्य नालों की जालियां नियमित साफ नहीं होती। जालियों में कचरा फंस से निकासी नहीं हो पाती। जब उच्चाधिकारियों द्वारा आपत्ति जताई जाती है, या फिर कोई जनप्रतिनिधि की शिकायत आती है, तब विभागीय अफसरों की आंखें खुलती हैं। सोमवार को ऐसी ही एक शिकायत पर रामघाट रोड पर ग्रेट वैल्यू माल के निकट पहुंचे निगम अफसर एक दुकान को देखकर हैरान रह गए। पेंटिंग, पोट्रेट की ये दुकान नाले पर ही खड़ी हुई थी। इसे हटाया गया।
यह हैं शहर के हालात
शहर की जल निकासी तीन प्रमुख नालों पर टिकी हुई है। अलीगढ़ ड्रेन, जोफरी ड्रेन और मथुरा-इगलास रोड ड्रेन के जरिए पानी की निकासी होती है। इनसे 19 संपर्क नाले जुड़े हुए हैं। इन्हीं नालों के चोक होने से जभराव की समस्या पैदा होती है। ज्यादातर नाले अतिक्रमण के चलते पूरी तरह साफ नहीं हो पाते। नगर निगम नालों को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए समय-समय पर अभियान चलाता है। लेकिन, यह अभियान अस्थाई अतिक्रमण हटाने तक सीमित रहता है। जबकि, मुख्य मार्गों पर नाले के ऊपर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की पार्किंग बनी हुई हैं, स्लैब डालकर नाले घेर लिए है। इस पर कार्रवाई नहीं की जा रही। शिकायत पर कभी प्रतिष्ठानों के बाहर अतिक्रमण हटाने के प्रयास किए जाते हैं तो विरोध शुरू हो जाता है। तब जन प्रतिनिधि भी प्रतिष्ठान स्वामियों के पक्ष में खड़े हो जाते है। ऐसे में नगर निगम अफसरों को पीछे हटना पड़ता है। यह भी एक वजह है कि निगम द्वारा कोई ठोस कार्रवाई न करने की। नगर आयुक्त गौरांग राठी का कहना है कि अतिक्रमण को लेकर किसी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा। नगर निगम का प्रवर्तन दल नियमित कार्रवाई कर रहा है। काफी हद तक नालों से अतिक्रमण हटा दिया गया है। कार्रवाई अभी भी जारी है।