RGA न्यूज़
हाथरस के सिकंदराराऊ के रहने वाले हैं प्रधानाध्यापक और उसकी बहन। पिता की जगह पर पहले खुद नौकरी पाई नौ साल बाद बहन को भी बनवा दिया शिक्षक। शासन में शिकायत पर विजिलेंस जांच से हुआ धोखाधड़ी का पर्दाफाश दोनों पर मुकदमा दर्ज।
आगरा में फर्जी तरीके से नौकरी पाने वाले शिक्षक भाई बहन फंस गए हैं।
आगरा, हाथरस के रहने वाले शिक्षक भाई- बहन मृतक आश्रित में धोखाधड़ी से नौकरी हासिल करने के मामले में फंस गए हैं। प्रधानाध्यापक सुरेश चंद्र शर्मा पर आरोप है कि शिक्षक पिता की मौत के बाद उन्होंने नौकरी हासिल की। इसके बाद अपनी फाइल कहीं गायब करा दी। नौ साल बाद बहन को मृतक आश्रित में शिक्षक बनवा दिया। करीब चार साल पहले शासन में शिकायत करने पर उसने विजिलेंस को जांच के निर्देश दिए। विजिलेंस की जांच में धोखाधडी की पुष्टि होने पर शिक्षक भाई-बहन के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज तैयार करना व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
मामला सिकंदराराऊ के रहने वाले सुरेश चंद्र शर्मा का है। जो कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय खेड़ा बरामई हाथरस में प्रधानाध्यापक हैं।सुरेश चंद्र शर्मा के पिता घासीराम शर्मा प्रधानाध्यापक थे। उनकी वर्ष 1983 में मृत्यु हो गई। सुरेश चंद्र शर्मा को वर्ष 1985 में उनकी जगह शिक्षक की नौकरी मिल गई। सुरेश चंद्र शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने अपनी नियुक्ति संबंधी फाइल को कहीं गायब करवा दिया। जिसके बाद वर्ष 1994 में उन्होंने छल पूर्वक फर्जी अभिलेखों की मदद से मृतक अाश्रित कोटे में अपनी बहन कमलेश कुमारी को भी नौकरी दिला दी। कमलेश कुमारी को अलीगढ़ के गौंडा के गांव पिलखू में नियुक्ति मिल गई। कुछ सालों बाद उनका स्थानांतरण मथुरा के सुरीर स्थित विद्यालय में हो गया।वह वर्ष 2017 तक प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत रहीं।
वर्ष 2016-17 में मृतक आश्रित में फर्जी तरीके से नियुक्ति दिलाने का मामला सामने आया।जब इसकी शिकायत शासन में की गई। शासन ने विजिलेंस से पूरे मामले की जांच कराई। गोपनीय जांच रिपोर्ट शासन को भेजी। जिसके बाद वहां से इस प्रकरण की खुली जांच के निर्देश दिए गए।विजिलेंस ने जांच में आरोप सही पाए। जिसके बाद वर्ष 2017 में कमलेश कुमारी की सेवाएं समाप्त कर दी गईं थीं। करीब चार साल तक चली जांच के बाद दोनों के खिलाफ विजिलेंस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया।
सुरेश चंद्र शर्मा और उसकी बहन कमलेश कुमारी के खिलाफ मृतक आश्रित में फर्जी अभिलेखों की मदद से नौकरी हासिल करने के मामले में जांच के बाद विजिलेंस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। दोनों आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।