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RGA न्यूज़
पैगंबर-ए-इस्लाम के जन्मदिवस की खुशी में ईद-मिलादु्न्नबी मनाई जाती है। इस दौरान रात में जश्न-ए-चिरागां किया जाता है। घरों को सजाया जाता है। खूबसूरत झलरे झंडे व रंग बिरंगी लाइट लगाई जाती है। जगह-जगह जलसे आयोजित किए जाते हैं।
कानपुर, कोरोना की वजह से दूसरे वर्ष जुलूस-ए-मोहम्मदी नहीं निकल सकेगा। पिछले वर्ष भी अक्टूबर में जुलूस निकलना था लेकिन संक्रमण फैलने की आशंका के चलते अनुमति नहीं मिल सकी थी। इस वर्ष भी कोरोना गाइडलाइन का हवाला देते हुए प्रशासन ने जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी है। पैगंबर-ए-इस्लाम के जन्मदिवस की खुशी में अरबी महीने रबी-उल-अव्वल की 12 तारीख को परेड ग्राउंड से फूलबाग तक जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला जाता है। इसमें लाखों अकीदतमंद शामिल होते हैें। इससे पहले रात को जश्न-ए-चिरागां किया जाता है।
पैगंबर-ए-इस्लाम के जन्मदिवस की खुशी में ईद-मिलादु्न्नबी मनाई जाती है। इस दौरान रात में जश्न-ए-चिरागां किया जाता है। घरों को सजाया जाता है। खूबसूरत झलरे, झंडे व रंग बिरंगी लाइट लगाई जाती है। जगह-जगह जलसे आयोजित किए जाते हैं। गलियों व मोहल्लों को भी सजाया जाता है। जश्न-ए-चिरागां पर होने वाली रोशनी को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। दूसरे दिन जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला जाता है । परेड ग्राउंड से फूलबाग तक निकलने वाले जुलूस में लाखों लोग शिरकत करते है। इस वर्ष कोरोना की वजह से जुलूस ए मोहम्मदी नहीं निकलेगा। जुलूस-ए-मोहम्मदी लगभग 109 वर्ष पुराना है। जुलूस का नेतृत्व जमीयत उलमा करती है। इस जुलूस का महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें हर मसलक के लोग शिरकत करते हैं। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण की वजह से जुलूस निकल निकला था। इस वर्ष भी प्रशासन ने जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी है हालांकि जश्न-ए-चिरागां किया जाएगा। जश्न-ए-चिरागां की तैयारियां चल रही है। जश्न-ए-चिरागां पर हर वर्ष जगह-जगह सड़क पर खूबसूरत गेट बनाए जाते थे, सजावट की जाती थी, पार्कों को भी सजाया जाता था। इस वर्ष गेट का निर्माण नहीं हो रहा है।