RGA न्यूज़
जुलाई के पहले हफ्ते से ही राजधानी समेत पूरे प्रदेश में संक्रमण पर शिकंजा कसने लगा था। अब संक्रमण पूरी तरह से काबू में है। अन्य राज्यों में भी संक्रमण नियंत्रण में है। इन दिनों लगभग पूरे देश में संक्रमण दर एक फीसद से बहुत नीचे चल रही है।
लखनऊ सहित सूबे में तेजी से वैक्सीनेशन हो रहा है।
लखनऊ, जुलाई के पहले हफ्ते से ही राजधानी समेत पूरे प्रदेश में संक्रमण पर शिकंजा कसने लगा था। अब संक्रमण पूरी तरह से काबू में है। देश के अन्य राज्यों में भी संक्रमण नियंत्रण में है। इन दिनों लगभग पूरे देश में संक्रमण दर एक फीसद से बहुत नीचे चल रही है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार लखनऊ में 18 वर्ष से अधिक उम्र के 90 फीसद से अधिक लोगों को पहली डोज लग चुकी है।
16 जनवरी से 12 अक्टूबर तक कुल 41 लाख 66 हजार 672 लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है। इनमें से 12 लाख 62 हजार 772 लोगों को दोनों डोज मिल चुकी है। जबकि 29 लाख तीन हजार 900 लोगों को पहली खुराक दी जा चुकी है। विशेषज्ञों के अनुसार तेज गति से हुए वैक्सीनेशन के साथ हर्ड इम्युनिटी के चलते कोरोना वायरस की चेन कमजोर हुई है। इसी वजह से संक्रमण काबू में है। यह स्थिति बनाए रखने के लिए आगामी दिनों में भी लोगों को बहुत अधिक सतर्क रहना होगा। लोहिया संस्थान में कोविड प्रभारी डा. पीके दास कहते हैं कि संक्रमण की चेन को कमजोर करने में वैक्सीनेशन व हर्ड इम्युनिटी अहम कड़ी साबित हुई है। 18 वर्ष से अधिक उम्र के 90 फीसद से अधिक लोगों को पहली डोज लग जाना बड़ी बात है। अब छह से 18 वर्ष तक के बच्चों के टीके भी जल्द लगाए जाने की संभावना दिख रही है। इसके बाद संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा और मजबूत होगी
नवंबर तक रहना होगा अधिक सतर्क: राष्ट्रीय कोविड वैक्सीनेशन मिशन के ब्रांड एंबेसडर डा. सूर्यकांत त्रिपाठी कहते हैंं कि लखनऊ समेत लगभग पूरे देश में संक्रमण दर एक फीसद से नीचे चल रही है। इस वजह से वायरस चेन नहीं बना पा रहा। यदि हमने नवंबर तक यथास्थिति बनाए रखी तो समझो एक बड़ा संकट लगभग टल गया। अब त्योहार आ रहे हैं ऐसे में लोगों को अधिक सतर्क रहते हुए मास्क, शारीरिक दूरी व हैंड हाइजीन का पालन करते रहना है।
न्यूट्रलाइज्ड एंटीबॉडी का रोल भी अहम: लोहिया संस्थान में मेडिसन विभाग के डा. निखिल गुप्ता कहते हैं कि संक्रमण को रोकने में न्यूट्रलाइज्ड एंटीबॉडी का भी रोल बेहद अहम है। जब कोई व्यक्ति संक्रमित होकर ठीक हो जाता है तो उसमें न्यूट्रलाइज्ड एंटीबॉडी बन जाती है। जो वायरस का हमला होते ही सक्रिय हो जाती है और स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडी बनाती है।