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निजी विक्रेता कर रहे हैं कालाबाजारी 250 से 300 रुपये वसूल रहे अधिक। कई बार छापेमारी में सामने आ चुकी है ये बात फिर भी नहीं लग रहा अंकुश। किसानों को लंबे समय से डीएपी की किल्लत झेलनी पड़ रही है। नई रैक के आने का हो रहा है इंतजार।
आगरा में डीएपी के लिए किसान भटक रहे हैं।
आगरा, जिले में डीएपी का संकट विकराल रूप ले रहा है। सरसों बुवाई में किसान पिछड़ रहे हैं तो आलू की बुवाई शुरू नहीं हो पा रही है। हर सहकारी समिति से किसान बैरंग हो रहे हैं, जबकि निजी विक्रेता जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं। डीएपी के 1200 रुपये के पैकेट पर 250 से 300 रुपये अधिक वसूले जा रहे हैं। वहीं अभी दो दिन रैक की उपलब्धता नहीं होने की आशंका है। इधर कृषि विभाग के अधिकारी कई बार छापेमारी कर चुके हैं और गड़बड़ी भी सामने आई है लेकिन उसके बावजूद जमाखोरी और कालाबाजारी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
जिले में 105 समितियां हैं, जिनसे किसानों को डीएपी उपलब्ध कराया जाता है। किसानों को लंबे समय से डीएपी की किल्लत झेलनी पड़ रही है। समितियों के लिए जिले में कुल उपलब्धता 1350 मीट्रिक टन को दो अक्टूबर को भेजा जा चुका है, जिसका वितरण भी हो गया है। इसके बाद कोई नई रैक जिले को उपलब्ध नहीं हुई है। ऐसे में आलू, सरसों की बुवाई कर रहे किसानों के सामने संकट खड़ा हाे गया। वे समितियों के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं निजी विक्रेता कालाबाजारी करने में जुटे हैं। खेरागढ़ के किसान बिजेंद्र ने बताया कि सप्तहाभर से समिति के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन डीएपी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इससे बुवाई प्रभावित हो रही है। निजी विक्रेता 1400 से 1500 रुपये का पैकेट बेच रहे हैं। बिचपुरी के किसान राकेश ने बताया कि डीएपी समिति पर नहीं मिल पा रही है, जबकि बाजार में ऊंचे दाम लिए जा रहे हैं। इससे खेती प्रभावित होगी। एआर कापरेटिव राजीव लोचन ने बताया कि रैक की उपलब्धता नहीं होने के कारण डीएपी में मुश्किल हो रही है। दो दिन में रैक आने की उम्मीद है।