जिला प्रशासन अडियल रवैया के रहते गरीबों को नहीं मिल रही छत

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यूपी चंदौली 

चंदौली:-जिला प्रशासन के अड़ियल रवैये के कारण गरीबो को नसीब नही हो राह है छत, टूटी फूटी झोपड़ियों में रहने को है मजबूर*
चन्दौली।  प्रधानमंत्री के समृद्ध भारत एवं सुदृण भारत के सपने को धूल धूसरित करते हुए जिला प्रशासन गरीबों को घर से बे घर करने पर आमादा है जिससे गरीब जिल्लत भरी जिंदगी जीने को विवश है। पूरा मामला ग्राम राममांडो विकास खंड शहाबगंज तहसील चकिया का है। जहाँ पर पूर्व की सरकार ने बंजर की भूमि पर 25 लोहियाआवास बनाकर 13 अनुसूचित जाति और 12 पिछड़ी जाति के गरीबो को बसाने की योजना बनाई। इसके साथ ही तालाब का सुंदरीकारण आवासों के सामने उड्डीयान विभाग द्वारा बृक्षा रोपड़ आवास के सामने 25 सोलर लाइट प्रधानमंत्री  शौभाग्य योजना के तहत घरों के सामने 25 केबीए का ट्रांसफॉर्मर विजली भी मंजूर हो गया है। आवास का पानी निकासी के लिए ग्राम विकास योजना के तहत सीवर पुलिया निर्माण सहित पत्थर चौके कभी  भी योजना सम्लित है।वही लाभार्थी चंद्रकला का कहना है कि माननीय उच्चतम न्यायालय का आदेश है कि लोहिया आवास को पूर्ण कराया जाय लेकिन जिला प्रशासन द्वारा दो वर्षों से कार्य को बाधित किया जा रहा है।   जिससे हम गरीबो को छत नसीब नही हो पा रहा है। प्रधान पति वीरेंद्र प्रताप सिंह (गुड्डू) का कहना है कि बंजर कि भूमि पर विधवत पट्टा कराकर लोहिया आवास का निर्माण कराया जा रहा है जिसको गांव के ही कुछ दबंगो द्वारा बार बार निर्माण कार्य कोअवरुद्ध कर दिया जा रहा है। वही दूसरी तरफ  प्रधान पति का कहना है कि योगी सरकार ने भी गरीबो के आवास निर्माण के लिए दूसरी क़िस्त प्रति आवास 137500 (एक लाख सैतीस हजार पांच सौ रुपये) रिलीज भी कर चुकी है ताकि गरीबो को एक अदद छत नसीब हो सके। इसके वावजूद जिला प्रशासन विना कारण बताए कार्य को बाधित कर दे रहा है। जिससे गरीबो को आसियान नसीब नही हो पा रहा है। मानव अधिकार C W A के राष्ट्रीय महासचिव अरविंद कुमार द्विवेदी ने जिला प्रशासन के इस रवैये को सीधे तौर पर मानव अधिकारों का घोर उलंघन बताया और आगे उन्होंने कहा कि भारत के हर नागरिक को  रोटी कपड़ा और मकान का संबैधानिक अधिकार है।

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