करोड़ों का बाह्य विकास शुल्‍क तो वसूला लेकिन विकास कराना भूला आगरा विकास प्राधिकरण

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RGA न्यूज़

600 अपार्टमेंट के बाहर टूटी पड़ी हैं सड़कें-नालियां। सड़कों को अंधेरा दूर करने को नही हुई पथ प्रकाश की व्यवस्था। एडीए द्वारा ग्रुप हाउसिंग आवासीय और व्यावसायिक भवनों का नक्शा पास किया जाता है। ले-आउट के हिसाब से जो जमीन होती है उसमें वाहय विकास शुल्क लिया जाता है

आगरा विकास प्राधिकरण ने करोड़ों रुपये डेवलपमेंट चार्ज के रूप में लेने के बाद काम नहीं कराया है।

आगरा,जनसुविधाओं के नाम पर आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) ने ग्रुप हाउसिंग संचालकों से विगत दो दशक में अरबों रूपये वसूले। इसके बावजूद विकास कार्य न कराकर यह पैसा कहां किस निर्माण कार्य पर खर्च हुआ, इसका स्पष्ट जवाब अफसराें के पास नहीं है। जनसुविधा दुविधा में हैंं। करीब 600 अपार्टमेंट के बाहर सड़कें-नालियां टूटी पड़ी हैं। सड़कों को अंधेरा दूर करने के लिए पथ प्रकाश की व्यवस्था नही हुई है। अपार्टमेंट निवासी बदहाल सड़क-नालियों के निर्माण को लेकर संचालकों पर दवाब बना रहे है। संचालक यह कार्य एडीए द्वारा कराए जाने की बात कहकर अपना पीछा छूडा रहे है। एडीए में भी वह शिकायत कर रहे है, फिर भी समस्या का समाधान नही हो रहा है। ऐसे मेें अपार्टमेंट निवासी संचालक व एडीए अधिकारियों के चक्रव्यूह में 

एडीए द्वारा ग्रुप हाउसिंग, आवासीय और व्यावसायिक भवनों का नक्शा पास किया जाता है। ले-आउट के हिसाब से जो भी जमीन होती है। उसमें वाहय विकास शुल्क लिया जाता है। वर्तमान में यह शुल्क 2040 रुपये प्रति वर्ग मीटर है। एडीए कार्यालय से हर माह 40 से 50 नक्शे पास होते हैं। इसमें 50 फीसद नक्शे 500 वर्ग मीटर से कम, 30 फीसद नक्शे 1200 वर्ग मीटर तक और 20 फीसद नक्शे पांच हजार वर्ग मीटर से कम के होते हैं। प्रत्येक भवन स्वामी या फिर बिल्डर को यह शुल्क जमा करना होता है। 2019 में में इस मद में 70 करोड़ व 2020 में 62 करोड़ रुपये जमा हुए पर खर्च क्रमश: 30 लाख व 99 लाख रुपये किए गए। विकास नियमावली के मुताबिक इस शुल्क का प्रयोग एडीए को उसी क्षेत्र में नाली, पानी, बिजली, सीवर और सड़क की सुविधाएं देने में करना चाहिए हैैैै, इसके बावजूद विगत दो दशक में इस मद मेें अरबों रुपये जमा हो गया है पर कुबेरपुर, पथौली, ताजगंज, दयालबाग, शमसाबाद रोड, शास्त्रीपुरम, पश्चिमपुरी, सिकंदरा, रुनकता, शास्त्रीपुरम, अर्जुन नगर सहित कई क्षेत्रों में विकास के नाम पर उंट के मुंह में जीरा की कहावत चरितार्थ हो रह

वाहय विकास शुल्क जिस क्षेत्र का जमा होता है, तत्काल ही वहां विकास कार्य करा दिए जाते है। पिछले दो दशक में कितना वाहय विकास शुल्क जमा हुआ, कहां-कहां किस मद में खर्च हुआ, उसकी शीघ्र छानबीन कराई जाएगी। यदि कही पर यह शुल्क जमा होने के बाद भी विकास कार्य नह हुए है तो उसकी जांच करके विकास कार्य कराए जाएंगे।

कहां- कहां से कितना मिला शुल्

 रकम वर्ष व रकम वर्ष व रकम

सिकंदर 2019, नौ करोड़ 2020, सात करोड़ 2021, पांच करोड़

ताजगंज 2019, 18 करोड़ 2020, 15 करोड़ 2021, आठ करोड़

शमसाबाद रोड 2019, 20 करोड़ 2020, 19 करोड़ 2021, 11 करोड़

कुबेरपुर 2019, सात करोड़ 2020, साढ़े छह करोड़ 2021 तक, पांच करोड़

दयालबाग 2019, 20 करोड़ 2020, 18 करोड़ 2021 तक, 14 करोड़

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