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RGA न्यूज़
कोयला की आपूर्ति न होने की वजह से ईंट भट्टा संचालकों ने ईंटों के दाम बढ़ा दिए है। इसका सीधा असर भट्टा संचालकों के साथ आशियाना बनाने वालों पर भी पड़ा है। दाम बढ़ने से जहां लोगों ने घरों में काम बंद करा दिया है
कोयले ने मंहगा किया आशियाना बनाने का सपना, भट्टा संचालकों ने बढ़ाए ईंट के दाम
बरेली, कोयला की आपूर्ति न होने की वजह से ईंट भट्टा संचालकों ने ईंटों के दाम बढ़ा दिए है। ऐसे में इसका सीधा असर भट्टा संचालकों के साथ ही आशियाना बनाने वालों पर भी पड़ा है। दाम बढ़ने से जहां लोगों ने घरों में काम बंद करा दिया तो वहीं भट्टा स्वामियों ने भी खरीद बंद कर दी है।
कोयले की कमी होने का असर सिर्फ बिजली उत्पादन पर ही नहीं बल्कि ईंट भट्टा के कारोबार पर भी पड़ा है। प्रति किलो के हिसाब से स्टीम कोयले में 14 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है। यही कारण है कि इससे ईंट के दामों में भी तेजी के साथ उछाल आया है। 5200 रूपये प्रति हजार की ईंट के दाम 6 हजार रुपये तक पहुंच गए हैं। पिछले महीने तक 7 हजार रुपये प्रति टन बिकने वाला काेयला वर्तमान में 24 हजार रुपये प्रति टन मिल रहा है। इसके बाद भी काेयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही। भट्टा स्वामियों का कहना अगर कोयले की कीमत में कमी नहीं आई तो ईंटों के रेट और अधिक बढ़ेंगे।
मजदूरों की बढ़ी चिंता
फरीदपुर ईंट भट्टे पर मजदूर किशोर कुमार कहते हैं कि कोयला महंगा होने की वजह से अभी तो कोयला की खरीद और ईंटों का उत्पादन ही कम हुआ है। अगर, यही स्थिति रही तो मजदूरी पर भी संकट आ जाएगा
स्टीम कोयला पर बढ़े सबसे ज्यादा दाम
कपड़ो पर प्रेस करने और ढाबों में तंदूर के लिए इमली और पत्थर वाले कोयले का प्रयोग किया जाता है। जिस पर तीन से चार रुपये के दाम बढ़े हैं। वहीं ईंट भट्टों में प्रयोग होने वाले स्टीम काेयले में 14 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है।
ईंट भट्टे फरवरी से लेकर जून तक चलते हैं। लेकिन, कोयला के दामों में जिस तरह दोगुनी बढ़ोत्तरी हुई है उस लिहाज से तीन महीने भट्टा चलाना भी मुश्किल होगा।
कोरोना की मार से उबर ही रहे थे कि अब कोयले की मंहगाई ने कमर तोड़नी शुरू कर दी। फिलहाल तो भट्टे बंद हैं लेकिन, कोयले के दाम कम नहीं हुए तो मुश्किल हो जाएगी