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RGA न्यूज़
उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर वाराणसी लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर में कमिश्नरेट पुलिसिंग व्यवस्था लागू करते समय कई प्रशासनिक अधिकार भी दिए थे अब एक बार फिर उसमें इजाफा करते हुए 14 और मामलों में सुनवाई करने का अधिकार दिया है।
कानपुर कमिश्नरेट पुलिस को मिले और अधिकार।
कानपुर, कानपुर, वाराणसी, गौतमबुद्ध नगर और लखनऊ में कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद शासन ने पुलिस अधिकारियों को कार्यपालक मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान कर दी हैं। पिछले दिनों इस संबंध में शासन की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई। इसके तहत इन जिलों में पुलिस को 14 मामलों में सुनवाई के अधिकार दिए गए हैं।
अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी द्वारा छह अक्टूबर को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 20 धारा उपधारा 1 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल ने लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर, कानपुर और वाराणसी में पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, सहायक पुलिस आयुक्त, एडिशनल डीसीपी और एसीपी को कार्यपालक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया है। इस संबंध में इन अधिकारियों को 14 मामलों में सुनवाई करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
यह हैं मामले : उत्तर प्रदेश गुंडा निवारण अधिनियम 1970, विष अधिनियम 1919, अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956, पुलिस द्रोह उद्दीपन अधिनियम 1922, पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 1960, विस्फोटक अधिनियम 1884, कारागार अधिनियम 1894, शासकीय गुप्त बात अधिनियम 1923, विदेशी विषयक अधिनियम 1946, गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम 1967, पुलिस अधिनियम 1861, उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवा अधिनियम 1944, उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा अधिनियम 2005 और उत्तर प्रदेश गिरोह बंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986।