आगरा में उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापित होने को लेकर राज्‍यमंत्री का बयान, वकीलों को बंधी उम्मीदें

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RGA न्यूज़

केंद्रीय कानून एवं न्‍याय राज्‍यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा है कि मोदी सरकार वेस्‍ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच स्‍थापना पर विचार करने को तैयार है। खंडपीठ स्थापना को लेकर 1956 से चल रहा है आंदोलन। वर्ष 1981 में हुआ था जस्टिस जसवंत सिंह आयोग का गठन।

आगरा में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच बनाए जाने की उम्‍मीद जागी है।

आगरा, केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा है कि मोदी सरकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापित करने पर विचार को तैयार है। केंद्रीय मंत्री के इस बयान पर आगरा के अधिवक्ता संगठनो ने खुशी जाहिर की है।

आगरा में उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना की वकील वर्ष 1956 से मांग कर रहे हैं। वर्ष 1981 में जस्टिस जसवंत सिंह कमेटी के गठन और वर्ष 1984 में उसकी रिपोर्ट आने के बाद वकीलों का आंदोलन तेज हुआ है। आगरा में खंडपीठ की स्थापना से मथुरा, अलीगढ़, मैनपुरी, फिरोजाबाद, एटा, कासगंज, हाथरस, इटावा, झांसी व ललितपुर के वादकारियों को लाभ होगा।

खंडपीठ के लिए वर्ष 1956 से जारी आंदोलन पर एक नजर

उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति के सचिव एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण सोलंकी के अनुसार आगरा में हाईकोर्ट बेंच स्थापना का आंदोलन 1956 से चल रहा है। आंदोलन से जुड़़ी प्रमुख तारीखें निम्न हैं-

-वर्ष 1866: तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने आगरा में उच्च न्यायालय की स्थापना की।

वर्ष 1869: आगरा में क्रांतिकारी गतिविधियों के बढ़ने पर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने उच्च न्यायालय को इलाहाबाद में स्थानांतरित 

वर्ष 1966: आगरा में उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना की सौंवी वर्षगांठ मनाई गई, जिसमें जोर शोर से उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना की मांग की गई।

वर्ष 1971: उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति गठित की गई। जिसके पहले अध्यक्ष रमनलाल शर्मा बने। आगरा में खंडपीठ की स्थापना को लेकर आसपास जिलों के अधिवक्ता लामबंद हुए।

वर्ष 1981: उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने खंडपीठ स्थापना का प्रस्ताव तैयार करके केंद्र सरकार को भेजा।

वर्ष 1981: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जस्टिस जसवंत सिंह कमेटी का गठन किया।

वर्ष 1984: जस्टिस जसवंत सिंह कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार काे सौंपी

वर्ष 1985: कमेटी की रिपोर्ट संसद के पटल पर नहीं रखने पर उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई।

वर्ष 1986: सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने के बाद रिपोर्ट संसद के पटल पर आई

वर्ष 1986: खंडपीठ स्थापना की मांग को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने आगरा से दिल्ली तक पैदल मार्च किया।

26 सितंबर 2001: दीवानी न्यायालय परिसर में उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना संघर्घ समिति की मांग करते वकीलों पर पुलिस का लाठीचार्ज। न्यायिक अधिकारी वह कर्मचारियों समेत दर्जनों वकील घायल हुए।

वर्ष 2009: उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना के समर्थन में आगरा बंद, आंदोलनकारी वकीलों व संगठनों के साथ सांसद रामशंकर कठेरिया का राजामंडी रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन। मुकदमा दर्ज

जस्टिस जसवंत कमेटी ने आगरा को इसलिए माना था उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना के लिए सर्वोत्तम

उत्तर प्रदेश बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि जसवंत कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में उच्च न्यायालय खंडपीठ के लिए आगरा काे सर्वोत्तम माना था। इसके प्रमुख कारण निम्न थे-

-आधुनिक उत्तर भारत में आगरा में बेहतरीन अधिवक्ताओं की लंबी सूची थी। जिसमें प्रमुख रूप से राय बहादुर कन्हैया लाल, राय साहब अंबा प्रसाद, शिचचरन लाल सारस्वत, रमनलाल शर्मा, महेंद्र सारस्वत, बाबू माधाे प्रसाद, बाबू दयाल सरन जैसे नामचीन वकील थे।

 

-आवागमन के साधन होना सर्वसुलभ होना।

-होटलों व धर्मशालाओं की बहुतायत संख्या होना। जिससे यहां आने वाले वादकारियों को ठहरने के लिए किसी तरह की समस्या का सामना न करना पडे।

जस्टिस जसवंत सिंह कमेटी की रिपोर्ट के बाद मदुरै रायपुर में उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापित की जा चुकी है।आगरा में कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापित हो।

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