विकासशील इंसान पार्टी भी यूपी में अपनी जड़ें जमाने में जुटी, खेमाबंदी की कोशिश

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RGA न्यूज़

यूपी विधान सभा चुनाव के लिए बड़ी राजनीति पार्टियों के साथ ही छोटे दल भी सक्रिय हो चुके हैं। इसी क्रम में विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के संस्थापक व बिहार के पशुधन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी प्रयागराज से पार्टी विस्तार का संकल्प लिया

विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के संस्थापक व बिहार के मंत्री मुकेश सहनी ने प्रयागराज में अधिकार की बात कही।

प्रयागराज, यूपी विधान सभा चुनाव 2022 की तिथि जैसे-जैसे निकट आ रही है, राजनीतिक गतिविधियां तेज हो रही हैं। बड़े दल तो सक्रिय हैं ही, छोटे दल भी हरकत में आ चुके हैं। इन्हीं में विकासशील इंसान पार्टी भी शामिल है। पार्टी के संस्थापक और बिहार सरकार के पशुधन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी भी उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ों को जमाने में जुटे हैं। पहले समान विचारधारा के दलों के साथ समझौते की कोशिश की गई, हालांकि यह प्रयास अब भी जारी है। फिर भी दल अपने स्तर से आगे की जमीन तलाशने में जुटा है। खासकर निषादों को अपने खेमें में लेने की हर कोशिश की जा रही है।

पिछलग्‍गू बनने से भीख मिल सकती है, अधिकार नहीं : मुकेश सहनी

विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के संस्थापक व बिहार के पशुधन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी सोमवार को प्रयागराज में थे। उन्‍होंने उत्तर प्रदेश में पार्टी विस्तार के लिए संकल्प लिया। अखिल भारतीय पटेल संस्थान में हुए आयोजन में प्रदेश उपाध्यक्ष राजू निषाद ने विश्वास जताया कि पार्टी आने वाले चुनाव में बेहतर करेगी। जबकि मुकेश सहनी ने कहा कि पिछलग्गू बनने से भीख मिल सकती है अधिकार नहीं। हम सब को अपने लिए खुद खड़ा होना होगा।

अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाना हमारा लक्ष्य : संतोष सहनी

प्रदेश अध्यक्ष चौ. लौटनराम निषाद व वीआइपी युवा मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष साहनी ने भी हुंकार भरी। कहा कि निषाद आरक्षण हम सब का लक्ष्य है। स्पष्ट तौर पर कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य निषाद समाज की मल्लाह, केवट, बिन्द, कश्यप जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाना है। बोले कि पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उड़ीसा में निषाद जातियों को एससी का आरक्षण मिलता है तो यूपी, बिहार, झारखण्ड के मल्लाह, केवट, बिंद, बेलदार, धीवर, कश्यप, रैकवार, नोनिया, गोड़िया, चाईं, तियर को अनुसूचित जाति का दर्जा क्यों नहीं मिल रहा है।

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