मच्‍छरों ने खोल दी सरकारी दावों की कलई, डीएम को जांच में मिली लापरवाही

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RGA न्यूज़ 

ये मच्छर तो बड़े निष्ठुर हैं। अफसरों की कलई ही खोल दे रहे हैं। दरअसल डेंगू व मलेरिया की रोकथाम के लिए अधिकारी रोजाना समीक्षा बैठकों में मैडम के सामने फागिंग व अन्य कार्रवाई के बढ़-चढ़कर दावे प्रस्तुत करते रहे हैं। रोस्टर तक जारी किया जाता है।

फागिंग में लापरवाही की शिकायत मिलने पर डीएम खुद निरीक्षण करने निकलीं।

अलीगढ़, ये मच्छर तो बड़े निष्ठुर हैं। अफसरों की कलई ही खोल दे रहे हैं। दरअसल, डेंगू व मलेरिया की रोकथाम के लिए अधिकारी रोजाना समीक्षा बैठकों में मैडम के सामने फागिंग व अन्य कार्रवाई के बढ़-चढ़कर दावे प्रस्तुत करते रहे हैं। रोस्टर तक जारी किया जाता है। कार्रवाई पर अब तक लाखों रुपये के बजट का बंटाधार भी हो चुका है, मगर असर तो कुछ नहीं दिख रहा। मच्छर मस्त हैं तो जनता त्रस्त। इसे लेकर खुद सत्ताधारी पार्टी के नेता सवाल उठा रहे हैं। और विपक्ष के नेता, इसी बहाने सरकार पर निशाना साधने में लगे हुए हैं। इससे मैडम अफसरों से नाराज हैं। अतः दावों को परखने के लिए पिछले दिनों स्वयं शहर के दौरे पर निकल पड़ी। वही पाया, जो हकीकत में था। मैडम को शहर में कहीं फागिंग टीम नजर नहीं आई। अब अधिकारी लाख सफाई देते रहें, मगर कलई तो खुल ही गई है।

दीदी के एलान से उलझन में नेताजी

सियासत में कब क्या उलट-फेर हो जाए, ये कहना मुश्किल है। पंजे वाली पार्टी के एक वरिष्ठ नेताजी को ही देख लीजिए, सालों से विधानसभा में पहुंचने को लालायित हैं। मनफाफिक सीट से टिकट भी पक्का है। जीत के लिए शहर की मलिन बस्तियों से लेकर गांव की पगडंडियों तक दौड़ रहे हैं। लेकिन, पिछले दिनों दीदी ने महिलाअों को 40 फीसद सीटें देने का एलान किया तो उनकी सियासत ने करवट ले ली। पार्टी सूत्रों की मानें तो नेताजी अब अपनी पारंपरिक सीट से अर्धांगिनी को चुनाव लड़ाकर खुद किसी दूसरी सीट पर ताल ठोंकने या फिर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में सोचने लगे हैं। हालांकि, अभी कुछ तय नहीं किया है। दरअसल, पार्टी की वरिष्ठ नेत्री व उनके समर्थक इस शर्त पर उनके खेमे से जुड़े हैं कि वे उन्हें विधानसभा चुनाव में सपोर्ट करेंगे, बदले में नेताजी लोकसभा चुनाव लड़ाएं। अब नेताजी उलझन में हैं।

पलटे जा रहे मंडल वाले साहब के फैसले

स्वास्थ्य महकमें में मंडल स्तर के अधिकारी अपने विवाद फैसलों को लेकर काफी चर्चा में रहे हैं। उन पर जिला स्तरीय अधिकारियों के कार्य में हस्तक्षेप के आरोप तक लगे। खुद प्रशासनिक अफसरों को उन्हें समझाना पड़ा कि वे मंडल का काम देखें। जिला स्तर पर कोई समस्या होगी तो अधिकारी या हम स्वयं अवगत करा देंगे। लेकिन, हस्तक्षेप करने से बचें। इससे साहब नरम पड़ गए। अब जिला स्तर पर उनके लिए फैसले वापस होने लगे हैं। पहले कार्यालय में संबद्ध नेत्र सर्जन को पुनः दीनदयाल चिकित्सालय भेजा गए। कुछ समय पूर्व साहब ने जसरथपुर ट्रामा सेंटर के सुचारू संचालन के लिए नियुक्त डाक्टर साहब को हटाकर नगर निगम भेज दिया। लेकिन पिछले दिनों इन डाक्टर साहब को शिकायतों के आधार पर हटाकर दीनदयाल अस्पताल में भेज दिया है। मंडल वाले साहब के कई अन्य फैसले भी वापस भी बदल दिए गए हैं। साहब ने अचानक चुप्पी साध ली है।

गर्दन बचाने को घर ही बना दिया दफ्तर

चढ़ती सर्दी के बीच लोगों ने भले ही एसी-कूलर बंद कर दिए हो, लेकिन सेहत महकमे के एक साहब को गर्मी ज्यादा ही लगती है। बानगी देखिए, पिछले दिनों साहब ने अपने दफ्तर के लिए चार एसी खरीदे और उन्हें अपने आवास में फिट करा लिया। मीडिया में खबर ने खूब सुर्खियां बटोरीं। मामला गंभीर था। मैडम ने तत्काल जांच शुरू कर दी। घर में एसी लगाकर साहब बुरी फंस गए। ऐसे में किसी खास ने साहब को सलाह दी कि अब आवास को कैंप कार्यालय बोलिए, तभी गर्दन बचेगी। साहब ने भी तत्काल एसी लगे कक्षों को फर्नीचर के साथ विभिन्न योजनाअों से संबंधित पोस्टर-बैनर लगाकर कार्यालय का रूप दे दिया। यही नहीं काफी दस्तावेज कैंप कार्यालय से जारी दर्शा दिए गए। सबकुछ आनन-फानन किया गया। यह अलग बात है कि उनका आवास कैंप कार्यालय के रूप में अधिकृत ही नहीं है। साहब मान गए आपको।

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