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RGA news
महिलाओं को प्रवेश देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पहली बार बुधवार को सबरीमाला मंदिर के कपाट मासिक पूजा के लिए खुले। लेकिन इस दौरान फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया। इस बीच हालात को बेकाबू देखते हुए प्रशासन ने चार स्थानों पर धारा 144 लगा दी है। मासिक पूजा के लिए पूर्व निर्धारित मूहूर्त के तहत बुधवार शाम को पांच बजे सबरीमाला मंदिर के कपाट खोले गए। लेकिन दर्शन के लिए सुबह से ही लोग कतार में खड़े थे। वहीं 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में रोकने के लिए आंदोलनकारी भी पूरे रास्ते में जमे रहे।
मंदिर जाने के अहम पड़ाव निलाकल में सबसे खराब हालत रहे। प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार की तरह बुधवार को भी वाहनों की जांच की और महिला श्रद्धालुओं को वापस भेजा। हालांकि, पुलिस ने जब कुछ महिलाओं को अपनी सुरक्षा में आगे ले जाने की कोशिश की, तो इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पथराव कर दिया, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा। इसमें कुछ बुजुर्ग महिलाओं को चोटें आई हैं। केरल के मंत्री ने कहा, प्रदर्शनकारियों ने दस मीडिया कर्मियों, 15 पुलिसवालों और पांच श्रद्धालुओं को चोटिल किया है। दस सरकारी बसों को भी नुसान पहुंचाया गया है।
प्रदर्शनकारियों में कांग्रेस-भाजपा कार्यकर्ता भी
सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश देने के खिलाफ आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों में भाजपा और कांग्रेस के भी कई सदस्य शामिल हैं। विरोध स्वरूप ‘नामजपा’ (प्रार्थना) कर रहे लोगों को पुलिस द्वारा हटाए जाने के बाद भाजपा नेताओं का समूह उसी स्थान पर नामजपा शुरू कर दी। इसके नेतृत्व भाजपा के राज्य महासचिव के सुंरेंद्रन, एम टी रमेश और शोभा सुरेंद्रन ने किया। वहीं केरल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के. सुधाकरण ने निलाकल में विरोध कर रहे लोगों का नेतृत्व किया और श्रद्धालुओं के साथ एकजुटता दिखाई।
पुजारी का परिवार हिरासत में
पुलिस ने सुबह महिला यात्रियों का रास्ता रोक रहे कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है। इनमें कुछ पुजारी और उनके परिवार के सदस्य शामिल है।
मीडिया पर भी फूटा गुस्सा
पूरी घटना को कवर करने के लिए निलाकल से पम्बा जा रहे रहे मीडिया कर्मियों को भी प्रदर्शनकारियों ने रोक दिया। पुरुषों के एक समूह ने महिला पत्रकारों को जबरन गाड़ी से बाहर निकलने को मजबूर किया। हालांकि, पुलिस ने बीच बचाव करके पत्रकारों को सुरक्षित बाहर निकाला। इस बीच मामले पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग ने राज्य के पुलिस महानिदेशक से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने पुलिस ने महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है।
विरोध के चलते बिना दर्शन लौटी महिला
विरोध के चलते आंध्रप्रदेश की एक महिला को भगवान अयप्पा स्वामी के दर्शन किए बिना लौट आई। पूर्वी गोदावरी जिला निवासी माधवी शीर्ष अदालत के फैसले के बाद सबरीमला पहाड़ी पर चढ़ने वाली पहली प्रतिबंधित आयु वर्ग की महिला है। माधवी बुधवार सुबह परिवार के साथ मंदिर पहुंचने का प्रयास किया। पुलिस ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई थी। लेकिन अयप्पा सेना के कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेर लिया और वापस जाने को कहा।
यह हिंदू नवजागरण और हिंदू रूढ़िवाद के बीच की लड़ाई
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने बुधवार को सबरीमला मुद्दे को हिंदू नवजागरण और हिंदू रूढ़िवाद के बीच एक लड़ाई के रूप में बताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, हमारा संगठन विराट हिंदुस्तान समागम कानून के शासन के पक्ष में है और हमें कानून से पहले समानता बनाए रखनी चाहिए। स्वामी ने कहा, यदि राज्य सरकार मंदिर में महिला श्रद्धालुओं के प्रवेश को सुनिश्चित करने में असमर्थ है, तो कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्र को हस्तक्षेप करना चाहिए।
सबरीमाला मंदिर की सदियों पुरानी रीत और भगवान अयप्पा मंदिर की परंपराओं की रक्षा की जानी चाहिए। - कंडारू राजीवरू, पुजारी
केरल सरकार और पुलिस सबरीमला को युद्ध क्षेत्र बनाना चाहती है। सरकार बड़ी संख्या में निलक्कल और पम्बा आने वाले अयप्पा श्रद्धालुओं की भावनाओं पर संज्ञान नहीं ले रही है। - एम.टी.रमेश, भाजपा नेता
यह प्रदर्शन जन विरोधी, संविधान विरोधी और कानून के खिलाफ है।सबरीमला में आने वाले श्रद्धालुओं को सरकार सुरक्षा प्रदान करेगी। - ई.पी.जयराजन, मंत्री, केरल सरकार