फसलों की सेहत सुधारने के लिए आया डाक्टर ड्रोन, IIIT प्रयागराज के शोध छात्रों का इनोवेशन

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IIT में एप्लाइड साइंस के शोध छात्र पवन खरवार और शेफाली विनोदराम टेके ने ऐसा ड्रोन तैयार किया है जिसे हम डाक्टर ड्रोन की संज्ञा दे सकते हैैं। पीएस-1925 नामक यह ड्रोन न सिर्फ फसलों की रखवाली करेगा वरन बीमारी की तलाश कर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव भी करे

गाजीपुर के रेवतीपुर स्थित अपने खेत में ड्रोन का परीक्षण करते शोध छात्र पवन खरवा

प्रयागराज,। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहते हैैं कि ड्रोन टेक्नालाजी में भारतीय युवा दुनिया का नेतृत्व करें। उनकी इस आकांक्षा के अनुरूप एक शानदार पहल हुई है प्रयागराज के झलवा स्थित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआइटी) में। यहां एप्लाइड साइंस के शोध छात्र पवन खरवार और शेफाली विनोदराम टेके ने ऐसा ड्रोन तैयार किया है, जिसे हम डाक्टर ड्रोन की संज्ञा दे सकते हैैं। पीएस-1925 नामक यह ड्रोन न सिर्फ फसलों की रखवाली करेगा वरन बीमारी की तलाश कर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव भी करेगा।

ड्रोन सिरदर्द नहीं बना किसानों के लिए मददगार

ऐसे दौर में जब पंजाब और कश्मीर में विस्फोटक, अवैध असलहे और मादक पदार्थ गिराकर ड्रोन सुरक्षा एजेंसियों का सिरदर्द बढ़ा रहे हैैं, तब ट्रिपलआइटी के शोधार्थियों ने खेती किसानी के लिए ड्रोन तकनीक के प्रयोग का रास्ता खोलकर उम्मीद जगाई है। मौजूदा दौर में खेतों की रखवाली, बीमारी का पता लगाना और दवाओं का छिड़काव किसानों के लिए श्रम साध्य तो है ही, आर्थिक रूप से भी चिंता का कारण है। ऐसे में डाक्टर ड्रोन तीनों ही चिंताओं का समाधान चुटकियों में कर देंगे। सिर्फ पांच मिनट में एक बीघे क्षेत्रफल वाले खेत में बीमारी का पता लगाकर दवाओं का छिड़काव कर देंगे। इससे उपज खराब होने का खतरा कम से कम रह जाएग

पत्तियों के रंग में बदलाव की पहचान

मूलरूप से गाजीपुर के रेवतीपुर गांव निवासी पवन खरवार और छत्तीसगढ़ के माहुद गांव की शेफाली ने संस्थान के शिक्षक डाक्टर प्रीतिश भारद्वाज और डाक्टर सुनील यादव के निर्देशन में किसानों के मददगार ड्रोन लगभग एक साल भर में तैयार कर लिया। केंद्र सरकार के डिजाइन इनोवेशन सेंटर प्रोग्राम के तहत यह ड्रोन तैयार किया गया है। इसमें कैमरे के अलावा मल्टीस्पेक्ट्रम सेंसर लगा है। यह फसलों के रंग की पहचान करता है। जब फसलों में कोई रोग लगता है तो पत्तियों का रंग बदलने पर यह उनकी पहचान आसानी से कर ले

दवा के छिड़काव को लगा टैैंक

पवन और शेफाली बताते हैैं कि आरजीबी सेंसर फसल में कीटनाशक रोगों की पहचान करता है। कंप्यूटर आधारित यह आटोमेटेड ड्रेान बीमारियों को खोजकर दवा का नाम भी सुझाता है। फिर यह टैंक के जरिए दवाओं का छिड़काव करता है। डाक्टर ड्रोन का सफल परीक्षण गाजीपुर के रेवतीपुर और प्रयागराज स्थित ट्रिपलआइटी कैंपस में अप्रैल-मई 2021 में किया गया। अब इसे बाजार में उतारने की तैयारी चल रही है। इसकी कीमत 10 लाख रुपये होगी। दरअसल इसके सेंसर काफी महंगे हैं। पीएस-1925 ड्रोन के पेटेंट के लिए भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के डिपार्टमेंट आफ प्रमोशन आफ द इंडस्ट्रियल एंड इंटरनल ट्रेड में जून में आवेदन किया जा चुका है। पंजीकरण हो गया है। जल्द ही प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। उसके बाद कोई कंपनी इसे बनाने लगेगी। मार्केट में इसकी कीमत कितनी होगी, यह निर्माता कंपनी तय करेगी

फेसबुक को भाया था अनोखा ड्रोन

कोरोनाकाल में फेसबुक ने 30 देशों में आनलाइन मोड में फेसबुक ग्रांट प्रोग्राम-2020 का आयोजन किया था। इसके तहत 30 हजार से अधिक शोधार्थियों ने आवेदन किया था। भारत से भी 15 प्रोजेक्ट अनुदान के लिए चुने गए थे। पवन और शेफाली को इस प्रोजेक्ट (ड्रोन) के लिए एक-एक लाख रुपये का अनुदान मिला था। अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता ग्लोबल प्राब्लम साल्वर चैलेंज-2020 (सिस्को) में इस ड्रोन को तीसरा स्थान मिला था। इसमें पवन और शेफाली को उनकी प्रौद्योगिकी को अधिक उन्नतशील बनाने के लिए 10 हजार अमेरिकी डालर का पुरस्कार मिला। प्रतियोगिता में दुनिया के 12 देशों के 500 से अधिक शोधार्थियों ने प्रतिभाग किया था। अमेरिका, इंग्लैंड, पोलैंड, कैमरून, इंडोनेशिया, केन्या, मैक्सिको और ट्यूनेशिया के शोधार्थी भी शामिल हुए थे।

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