यूपी के इस शहर से खत्म हुई अजब परंपरा, पहले पत्थर मारकर मनाते थे दीवाली, फिर करते थे एक-दूसरे की मरहम पट्टी

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RGA news

Badaun Amazing Diwali Tradition बदायूं में कुछ साल पहले तक दीपावली की पूर्व संध्या पर अजीबोगरीब प्रथा चलती थी। छोटी दीवाली पर फैजगंज और बेहटा गांवों के लोग खुले मैदान में आमने-सामने आते थे। दोनों तरफ से एक-दूसरे पर पत्थरबाजी कर पत्थरमार दीपावली मनाई जाती थी

यूपी के इस शहर से खत्म हुई अजब परंपरा, पहले पत्थर मारकर मनाते थे दीवाली

बरेली। Badaun Amazing Diwali Tradition : बदायूं में कुछ साल पहले तक दीपावली की पूर्व संध्या पर अजीबोगरीब प्रथा चलती थी। छोटी दीवाली पर फैजगंज और बेहटा गांवों के लोग खुले मैदान में आमने-सामने आते थे। दोनों तरफ से एक-दूसरे पर पत्थरबाजी कर पत्थरमार दीपावली मनाई जाती थी। पत्थरबाजी की परंपरा में लोग चोटिल भी होते थे। शाम के वक्त दोनों गांवों के लोग गले मिलते और घायलों की मरहम पट्टी भी कराते थे। दीपावली के दिन मिल-जुलकर त्योहार मनाया जाता। खास बात यह थी कि इसमें हिंदुओं के साथ मुस्लिम भी शामिल होते थे। पिछले चार वर्षों से प्रशासन ने इस परंपरा पर रोक लगा दी है। पुलिस निगरानी करती रहती है ताकि दोबारा इसकी शुरूआत न हो सके

नरक चतुर्दशी यानि छोटी दीवाली के दिन निभाई जाती रही इस परंपरा की शुरूआत कब हुई इसके बारे में गांव के बुजुर्ग कोई सटीक जानकारी तो नहीं दे पाते, लेकिन गैर आबाद गांव गंगपुर के ग्रामीणों के फैजगंज में आकर बसने के विरोध में हुए संघर्ष की कहानी जरूर बताते हैं। बताते हैं कि गंगपुर में घनी आबादी थी, अचानक महामारी के प्रकोप से भूखमरी की नौबत आ गई। यहां के लोग समीप के मिर्जापुर बेहटा गांव के पास आकर बसने लगे। जबकि मिर्जापुर बेहटा के लोग उन्हें बसने नहीं 

इसलिए उन्हें खदेड़ना शुरू कर दिया। इसकाे लेकर काफी दिनों तक संघर्ष होता रहा। इसी बीच कोई महात्मा गंगपुर पहुंचे, ग्रामीणों की स्थिति देखी तो उन्हें विजय हासिल करने के उपाय बताए। ग्रामीणों ने यम दीया जलाकर पूरी रात उसकी रखवाली की और उसी रात दोनों गांवों के बीच जमकर संघर्ष हुआ। आखिरकार उनकी जीत हुई और फैजगंज बेहटा आबाद हो गया। तभी से यह परंपरा चली आ रही थी। सुबह से लेकर शाम तक पत्थरबाजी होती थी। इसमें हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी शामिल होते थे

अघोषित युद्ध देखने के लिए आसपास के गांवों के लोगों की भीड़ भी जुटती थी। इसमें लोग चोटिल होते थे, खतरा भी रहता था, इसलिए चार साल पहले जिला प्रशासन ने इसे बंद करा दिया। छोटी दीवाली के दिन इस बार भी पुलिस निगरानी करेगी। फैजगंज बेहटा अब नगर पंचायत बन चुकी है। इंस्पेक्टर फैजगंज बेहटा सुरेश चंद्र गौतम का कहना है कि निगरानी की जा रही है, दोबारा परंपरा शुरू नहीं होने दी जाएगी।

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