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मृतक नवजात शिशु के पिता लकेश ने बताया कि आपरेशन के जरिये डिलीवरी के दौरान उन्हें जुड़वा बच्चे हुए। एक बेटा और दूसरी बेटी थी। अचानक बेटे की तबीयत खराब हो गई। नाइट ड्यूटी पर कोई सीनियर डाक्टर नहीं था और नर्स ही बच्चे के इलाज में जुटी रही
आरोप है कि डाक्टरों की लापरवाही और इलाज में देरी के कारण 5 दिन के बच्चे की मौत हो गई।
,-16 (GMCH-16) में नवजात की मौत मामले में आज डाक्टरों का एक पैनल पोस्टमार्टम करेगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद इलाज कर रहे डाक्टरों की लापरवाही का पता चलेगा। किस कारण से बच्चे की मौत इसका भी खुलासा होगा। मृतक नवजात के घर वालों का आरोप है कि डाक्टरों की लापरवाही की वजह से बच्चे की मौत हो गई।
सेक्टर-23डी के रमन कुमार ने बताया कि उनकी बहु गुरप्रीत कौर गर्भवती थी। 11 नवंबर को उसे जीएमएसएच 16 में बीपी बढ़ने पर इलाज के लिए लाया गया था। बीपी कंट्रोल न होने पर डाक्टरों ने गुरप्रीत कौर एडमिट कर लिया। इसके बाद डाक्टरों ने गुरप्रीत कौर का आपरेशन कर डिलीवरी करने के लिए कहा। इस पर परिवार ने सहमति दे दी। रमन कुमार ने बताया कि बच्चे की डिलीवरी में अभी सवा महीना पड़ा था। समय से पहले डिलीवरी कराने पर उन्होंने डॉक्टरों से भी सलाह ली थी। तब डाक्टरों ने कहा कि आपरेशन से डिलीवरी करने पर कोई खतरा नहीं होगा। बच्चे को 10 से 15 दिन के लिए मशीन में रखन
मृतक नवजात शिशु के पिता लकेश ने बताया कि आपरेशन के जरिये डिलीवरी के दौरान उन्हें जुड़वा बच्चे हुए। एक बेटा और दूसरी बेटी थी। अचानक बीते रोज उनके नवजात बेटे की तबीयत खराब हो गई। नाइट ड्यूटी पर कोई सीनियर डाक्टर न होने की वजह से नर्स ही बच्चे के इलाज में जुटी रही। इलाज के दौरान नवजात की मौत हो गई। इस पर मृतक नवजात की मां गुरप्रीत कौर और लकेश ने डाक्टरों पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। गत 14 नवंबर को गुरप्रीत ने जुड़वा बच्चा-बच्ची को जन्म दिया था। लेकिन डाक्टरों की लापरवाही और इलाज में देरी के कारण 5 दिन के बच्चे की
परिवार ने डाक्टरों के खिलाफ सेक्टर-17 पुलिस थाने में शिकायत दी है। पुलिस ने पीड़ित परिवार को डाक्टरों के पैनल द्वारा रविवार को बच्चे का पोस्टमार्टम कराने के बाद बनती कार्रवाई किए जाने का भरोसा दिया है। वहीं, अस्पताल के सीनियर डाक्टर वीके नागपाल का इस मामले में कहना है कि प्राथमिक जांच में डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की कोई लापरवाही सामने नहीं आई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद इसकी दोबारा विभागीय जांच करवाई जाएगी। जांच में अगर कोई डााक्टर या नर्सिंग स्टाफ दोषी पाया गया, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।